फॉर्मूला वन रेस किसी भी देश के लिए बहुत बड़ी घटना होती है। जब पहली बार 2011 में इंडियन ग्रांड प्रिक्स (Indian Grand Prix) का आयोजन किया गया था, तो इसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया और प्रशंसकों से बहुत अधिक ध्यान मिला।
हालांकि, तब से भारत सरकार की ओर से एक और आयोजित करने के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। ऐसा क्या हुआ कि भारत की फॉर्मूला 1 टीम को मजबूर होना पड़ा?
विजय माल्या की वजह से रद्द हुई Indian Grand Prix
भारतीय अधिकारियों ने मूल रूप से फॉर्मूला 1 टीम को 2011 में दौड़ की अनुमति दी थी, लेकिन बाद में उनकी स्वीकृति को रद्द कर दिया। फ़ोर्स इंडिया F1 टीम (Force India F1 Team) के मालिक, विजय माल्या पर वित्तीय गड़बड़ी का आरोप लगाया गया और मुकदमा चलाने से पहले ही वह देश छोड़कर भाग गया। F1 और इंडियन ग्रांड प्रिक्स को देश में लाने के पीछे उनका बड़ा हाथ था।
विजय माल्या के देश छोड़कर भाग जाने से दौड़ के लिए एक नया मेजबान खोजना मुश्किल हो सकता है। इसके अतिरिक्त, दिल्ली से वाहन चलाते समय दो धनी व्यापारियों के मारे जाने के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। इन विरोधों ने संभावित प्रायोजकों और निवेशकों को भारत में एक और फॉर्मूला 1 रेस की मेजबानी करने से डरा दिया होगा।
सरकार के पास आयोजन की कोई योजना नहीं
फॉर्मूला 1 रेस के लिए बड़े बजट की आवश्यकता होती है, साथ ही एक नए ट्रैक का निर्माण भी होता है। भारत सरकार के पास इस तरह के आयोजन की कोई योजना नहीं थी, जिससे प्रायोजन और निवेश प्राप्त करना मुश्किल हो गया। यह भारत सरकार के लिए एक बड़ा निवेश होता, जो मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए संभव नहीं था।
यह भारत सरकार के लिए एक बड़ा निवेश होता, जो मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए संभव नहीं था। इसके अतिरिक्त, भारत पारंपरिक फ़ॉर्मूला 1 बाज़ारों में से एक नहीं है और ऐसा कोई संकेत नहीं है कि निकट भविष्य में यह प्रवृत्ति बदलेगी।
ये सभी संभावित कारण हैं जिनकी वजह से Indian Grand Prix को भारत में रद्द किया गया था।
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