इस वक्त दुनिया में काफी सारी स्पोर्ट्स की games है जिसे सभी लोग खेलना पसंद करते है , चाहे वो
क्रिकेट हो , फुटबॉल , बास्केटबाल या हॉकी , इन सभी खेलों के विश्वभर में कई tournaments भी होते
है जिसमें एक से बढ़कर एक बेहतरीन खिलाड़ी हिस्सा भी लेते है , इन सारे खेलों में एक इंसान शारीरिक
गतिविधियां करता है और वही हम बात करे शतरंज की तो इसमें सभी व्यक्ति अपनी मानसिक स्तिथि
पर ज्यादा जोर देता है क्यूंकि ये पूरा खेल ही दिमाग है | शतरंज का खेल सदियों से खेला जा रहा
है इसकी रचना भारत में ही हुई थी , इस खेल को बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी काफी शौक से खेलते है |
शतरंज विश्वभर में काफी प्रसिद्ध है पर आज हम आपको ईसाई धर्म के एक ऐसे संप्रदाय के बारे में बताने
जा रहे है जिसके लोग शतरंज को खेलना काफी खतरनाक मानते है | इस संप्रदाय का नाम है Jehovah’s
Witnesses , इस समहू में कुल 8 मिलियन से भी ज्यादा लोग शामिल है और इसका गठन 1870 में चार्ल्स
टेज़ रसेल द्वारा हुआ था | Jehovah’s Witnesses घर-घर जा कर अपने साहित्य The Watchtower
और Awake! को बांटने के लिए खास तोर पर जाने जाते है |
इनके साहित्य Awake! में शतरंज के बारे में भी लिखा हुआ है और ये बताया गया है की इस खेल को लोगों
को क्यू नहीं खेलना चाहिए | उन्होंने इस साहित्य में शतरंज के बारे में काफी विस्तार से बताया हुआ है
और ये भी लिखा हुआ है की इसे खेला कैसे जाता है पर इसी के साथ उन्होंने ये भी लिखा है की ये खेल
लोगों के दिमाग पर किस तरह असर करता है |
Jehovah’s Witnesses के मुताबिक शतरंज खिलाड़ियों में एक प्रतिस्पर्धात्मक भावना को उत्तेजित कर
देता है और ये खेल एक तरह से ‘बौद्धिक लड़ाई’ है | उन्होंने शतरंज के विश्व चैम्पीयन बोरिस स्पैस्की की
स्टैट्मन्ट लिख कर इस बात का उद्धारण भी दिया है , दरहसल एक इंटरव्यू के दौरान बोरिस ने ये कहा
था की ”शतरंज में आपको लड़ाकू बनना होता है और जरूरत पड़ने पर मैं ये बन भी जाता हूँ |
Jehovah ने शतरंज के खेल की तुलना एक युद्ध से भी की है क्यूंकि जिस तरह युद्ध में दो राज्यों का मुकाबला
होता है उसी तरह शतरंज में भी कड़ा मुकाबला होता है और जब players अपने विरोधी के राजा को
“checkmate” कर देते है तो वो गेम जीत जाते है , जिस तरह पुराने समय में सेना में राजा के साथ हाथी ,
घोड़े , शूरवीर और प्यादे होते थे इस खेल में भी pieces के रूप में वो ही होते है | इस समहू के मुताबिक
बच्चों को भी शतरंज नहीं खेलने देना चाहिए क्यूंकि ये खेल एक तरह से युद्ध के खिलौने के सामान है
और ये उन्हें लड़ाकू बना सकता है |