भारत में इस समय शतरंज के कई बेहतरीन खिलाड़ी है जो विश्व भर में देश का नाम रोशन कर रहे है ,
उनमें से ज़्यादार खिलाड़ी युवा ही है , 17 वर्षीय प्रज्ञाननंद , 16 वर्षीय गुकेश , 19 वर्षीय अर्जुन एरिगसी और
भी बहुत , इन सभी का शतरंज में शानदार प्रदर्शन वाकई कबीले तारीफ है क्यूंकि इन्होंने इतनी कम उम्र में
काफी बड़ा मकाम हासिल कर लिया है | पर आज हम आपको इन युवा खिलाड़ी नहीं बल्कि हमारे भारत
देश के सबसे सर्वश्रेष्ठ शतरंज के खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे है जिनका नाम है विश्वनाथन आनंद ,
ये वही खिलाड़ी है जिसकी वजह से भारत में शतरंज को एक बड़ी पहचान मिली थी और बच्चे इस खेल में
अपनी रुचि दिखाने लगे थे |
विश्वनाथन आनंद भारत के पहले ग्रंड्मास्टर और विश्व चैम्पीयन बने थे , अब जरा आपको आनंद के पूरे सफर
के बारे में बताते की वो इतने बड़े मकाम पर कैसे पहुँचे | आनंद का जन्म 1969 में 11 दिसंबर को तमिल नाडु
में हुआ था और इसके बाद उनका परिवार चेन्नई आ गया था जहा वो बड़े हुए | आनंद के पिता दक्षिणी रेल्वे में
जनरल मैनेजर थे और माँ houswife थी |
आनंद ने 6 साल की उम्र में पहली बार अपनी माँ से शतरंज खेलना सीखा था और धीरे-धीरे उन्हें इस गेम खेलने
में इतना मज़ा आने लगा की जब उनका परिवार मनीला में शिफ्ट हो गया था तो उन्होंने इसकी प्रोफेशनल ट्रैनिंग
लेना शुरू कर दिया , आनंद वहा अपने परिवार के साथ 1978 से 1980 तक रहे थे |
शतरंज में आनंद के करियर को ऊंचाइया तब मिलना शुरू हुई जब उन्होंने 14 वर्ष की उम्र में 9/9 के स्कोर
के साथ सब जूनियर championship जीती इसके बाद 1984 में उन्होंने एशियन जूनियर championship भी
अपने नाम कर ली और इंटरनेशनल मास्टर बनने के काफी करीब पहुँच गए | इसके बाद आनंद ने भारत की
नैशनल टीम का हिस्सा बनते हुए 26 वें chess olympiad में भी भाग लिया जहा उन्होंने 11 games में कुल
7.5 अंक हासिल किए |
1985 में आनंद लगातार दूसरी बार एशियन जूनियर championship जीत कर भारत के सबसे कम उम्र के
इंटरनेशनल मास्टर बन गए , उस वक्त आनंद महज 15 वर्ष के थे | साल 1987 में उन्होंने विश्व जूनियर chess
championship में हिस्सा लिया और उसे जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने और अगले ही साल 18 वर्ष
की उम्र में आनंद भारत के पहले ग्रंड्मास्टर बन गए और उन्होंने इतिहास रच दिया ये पूरे भारत के लिए काफी
गर्व की बात थी ये टाइटल हासिल करने के लिए उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था |
इसके बाद आनंद ने विश्वभर के कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और कई championships जीती , साल 2000
में उन्होंने Fide की वर्ल्ड चॅम्पियनशीप में एलेक्सी शिरोव को एक 6 games के मैच में हरा दिया था और
2006 में वो 2800 elo रेटिंग पार करने वाले विश्व के चौथे प्लेयर बन गए थे , उन्होंने करीब 2 साल तक
विश्व के नो.1 प्लेयर की पज़िशन भी अपने पास ही रखी |
साल 2007 में आनंद भारत के पहले विश्व चैम्पीयन बन गए थे जो सबके लिए काफी गर्व की बात थी
जिसके बाद 2008 में उन्होंने व्लादिमीर क्रैमनिक के खिलाफ और 2010 में वेसेलिन टोपालोव के खिलाफ
अपने टाइटल का बचाव किया |
साल 2013 में वो चैलेंजर मैग्नस कार्लसन से अपना टाइटल हार गए थे और 2014 में हुए rematch में भी
वो अपना टाइटल वापस नहीं ले पाए थे पर आनंद अभी भी भारत के सबसे सर्वश्रेष्ठ प्लेयर माने जाते है
क्यूंकि उन्हीं की वजह से शतरंज को भारत में एक बड़ी पहचान मिली थी | इस वक्त वर्ल्ड रैंकिंग में नो.12 की
रैंक के साथ विश्वनाथ आनंद भारत के सभी players से ऊपर है जो ये साबित करता है की अभी भी वो ही
भारत के बेस्ट प्लेयर है |
ये भी पढ़े:- https://thechesskings.com/most-famous-chess-moves-in-history/