निश्चित रूप से कबड्डी मैच से जुड़े खिलाड़ियों, कोचों और प्रशासकों के लिए
एक पेशेवर स्तर के मनी-स्पिनर के लिए खेल से कबड्डी की प्रगति को
बड़े पैमाने पर एक सामान्य व्यायाम के साधन के रूप में खेला जाता है
जो कि बड़े पैमाने पर नहीं खेला जाता है. प्रतिभा की कमी को इसके
लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. वर्तमान में खेल प्रबन्धन पेशेवरों
कबड्डी खेल ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बनाया मुकाम
और इस खेल को एक रोमांचक और रोमान्चकारी दर्शकों के जुड़ाव
के रूप में आगे बढ़ाने की डोर टेलीविजन को सौंपी हुई है.
खेल को लेकर विश्व पटल पर कोई ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिली थी
लेकिन अब भारत ही नहीं अड़ोसी-पड़ौसी देशों और यहाँ तक कि
सात समुंदर पार के देशों में भी कबड्डी का विस्तार देखने को मिला है.
साथ ही साथ कबड्डी के खिलाड़ियों को भी अपने स्टारडम पाने और
आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद मिली है. प्रो कबड्डी लीग की
मदद से लोगों के दिलों में कबड्डी का विस्तार हुआ है और उनके
अंदर इस खेल को लेकर काफी उत्साह बढ़ा है. प्रो कबड्डी लीग जैसे
टूर्नामेंट ने कबड्डी की कायापलट कर दी है और इसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर
पर पहचान दिलाने में मदद की है. 2014 में पर कबड्डी लीग का
आयोजन हुआ था जिसमें कुछ टीमों ने भाग लिया था पर अब आठ साल
सफलता से पूरे करने पर अब प्रो कबड्डी लीग में कुल 12 टीमें हिस्सा ले रही हैं.
इतना ही नहीं टीमों में बहुत ही छोटी जगहों के खिलाड़ी भी शामिल है
जो ज्यादा नाम और पहचान नहीं रखते है लेकिन उन्होंने अपनी
प्रतिभा के दम पर शानदार मुकाम हासिल किया है. साथ ही साथ कबड्डी के
अन्य देशों के लोग भी भारत में आते कबड्डी खेलने
खेल को अब विदेशी लोग भी काफी खेलने लगे है. इसका पता
इससे ही चलता है कि कबड्डी विश्व फेडरेशन में 52 से
अधिक सदस्य शामिल है. खेलों में भारत का नामे रोशन होना काफी गौरवान्वित पल होता है.