पिछले 20 वर्षों से लगभग वाल्मीकि भाइयों (Valmiki Brothers) ने कभी क्लब,कभी राज्य, तो कभी देश के लिए 100 से अधिक मैच एक साथ खेले हैं. लोगों का ऐसा कहना था दिल्ली में हो रही सीनियर नेहरू कप (Senior Nehru Cup) क्लब प्रतियोगिता में मुंबई (Mumbai) के लिए यह उनका आखिरी मैच था लोग उस मैच को बहुत मंत्रमुग्ध होकर देख रहे थे और लोगों से उसके बारे में चर्चा कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
गुजरात (Gujarat) के राजकोट (Rajkot) में 2 अक्टूबर से शुरू हो रहे 36वें राष्ट्रीय खेलों (36th National Games) में भारत के पूर्व खिलाड़ी हॉकी प्रतियोगिता में महाराष्ट्र (महाराष्ट्र) के लिए एक बार फिर से पूरे दमखम के साथ खेलेंगे.
युवराज वाल्मीकि (Yuvraj Valmiki) का कहना है कि महाराष्ट्र के लिए खेलना मेरे लिए सम्मान की बात है और मुझे बहुत गर्व है कि मैं हॉकी में महाराष्ट्र के तरफ से खेल रहा हूं मैंने रांची में 2011 के मैच में कांस्य पदक जीता था, जब विक्रम पिल्ले कप्तान हुआ करते थे लेकिन अब वो कोचों में से एक हैं.
लगभग यही भावना देवेंद्र वाल्मीकि (Devindar Valmiki) अंदर भी है उनका भी कहना है फिर राज्य का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए एक बड़ी ही महान बात है और महाराष्ट्र की तरफ से खेलना मेरे लिए बहुत ही गर्व की बात है.
पिछले दो दशकों में Valmiki Brothers ने कई मैच एक साथ खेले
पिछले दो दशकों में वाल्मीकि ब्रदर्स ने कई मैच एक साथ खेलें, कई टीमों के साथ भी वाल्मिकी ब्रदर्स ने एक साथ खेला है जैसे ब्रदर्स इन आर्म्स ,मुंबई रिपब्लिकन, सेंट्रल रेलवे, जर्मनी लीग साइड, मुंबई और राष्ट्रीय टीम हालांकि 32 वर्षीय युवराज 2012 ओलंपिक में 1 इंची के कारण नहीं खेल पाए.
स्ट्राइकर युवराज वाल्मीकि का कहना है कि साल 2011 में चीन में हो रहे एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ विजई गोल करके पूरे देश में एक बड़ा नाम प्राप्त किया था लोगों का उन्हें बहुत प्यार और सम्मान मिला था.
युवराज बताते हैं उनके लिए अपने करियर का सबसे अच्छा वक्त साल 2010 में आया जब उन्होंने ढाका में दक्षिण एशियाई खेलों में पहली बार भारत की जर्सी पहनी थी, जिसे पहन कर वह बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे थे.
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