दिल्ली में उच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय हॉकी टीम के पूर्व
कोच सोजर्ड मारिन को अपनी किताब में कप्तान मनप्रीत सिंह के
खिलाफ लगाए गए आरोपों से सम्बन्धित कोई भी बयान जारी करने
से रोक दिया है. उन्होंने इसमें आदेश दिया है कि वे प्रथमदृष्टिया में मानहानिकारक है.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मारिन के बयान पर लगाई रोक
अदालत ने पब्लिशिंग हाउस हार्पर कॉलिन्स पब्लिशर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
के वकील की दलील पर भी गौर किया कि सिंह द्वारा दायर मुकदमे
के लंबित रहने तक उनका इरादा पांडुलिपि के विवादास्पद हिस्से को प्रकाशित नहीं करने के आदेश दे दिए है.
पांडुलिपि के सम्बन्धित हिस्से को देखने के बाद न्यायमूर्ति अमित बंसल
ने कहा कि मेरे प्रथम दृष्टया दिए गए बयान वादी मनप्रीत सिंह की
प्रतिष्ठा और सद्भावना के लिए मानहानिकारक और हानिकारक है.
इसने कहा की एक प्रथम दृष्टया मामला बनता है और सुविधा का
संतुलन सिंह के पक्ष में और मारिन के खिलाफ है जिसकी पुस्तक विल पॉवर
द इनसाइड स्टोरी ऑफ द इनक्रेडिबल टर्नअराउंड इन इन्दन वीमेंस हॉकी है.
इसका आदेश बुधवार को ही जारी किया गया. अदालत ने कहा कि
अगर ये बयान सार्वजनिक होते हैं तो इससे मनप्रीत सिंह की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी.
इसका नतीजा यह निकला की सुनवाई की अगली तारीख तक प्रतिवादी
संख्या 2 को बयानों के सम्बन्ध में बयान साक्षात्कार जारी करने से रोक दिया
जाता है जैसा कि पांडुलिपि में बताया गया है कि जो वादी के लिए
मानहानिकारण है. अदालत ने मामले को सूचीबद्ध करते हुए यह
बात कही है. अब इस मामले में आगे की सुनवाई 18 नवम्बर को
मामले की अगली सुनवाई 18 नवम्बर को होगी
की जाएगी. बता दें मारिन ने अपनी आने वाली किताब में कप्तान
मनप्रीत के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर उन पर
गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद हॉकी इंडिया ने हाई कोर्ट में मारिन
के खिलाफ याचिका दायर की थी. मारिन के अनुसार मनप्रीत ने ही
हॉकी के बाकी खिलाड़ियों को अपने अच्छे प्रदर्शन करने से रोका था.