आधुनिक युग में हॉकी का प्रचार भारत में कम होने लगा था. वहीं भारतीय टीम भी बड़े टूर्नामेंट में ज्यादा सफल नहीं हो रही थी. वहीं भारत के प्रायोजक सहारा कम्पनी ने भी भारतीय टीम से हाथ पीछे ले लिए थे. ऐसे में भारतीय टीम के प्रायोजक के रूप में उड़ीसा सरकार आगे आई थी. और भारतीय टीम को सहारा दिया था. वहीं भारतीय टीम को आगे बढ़ाने में उड़ीसा सरकार का काफी हाथ रहा है. उड़ीसा सरकार ही भारतीय महिला और पुरुष टीम की प्रायोजक बनी हुई है. और आने वाले दस सालों के लिए उड़ीसा सरकार ही यह जिम्मा सम्भालने वाली है.
उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने देश के युवाओं को हॉकी से जोड़ने के लिए कई मुहीम भी चलाई. इतना ही नहीं भारत लगातार दो बार विश्वकप का आयोजक भी बन चुका है. साथ ही उड़ीसा सरकार ने खिलाड़ियों को वो सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई है जिसका वह हकदार था और उन्हें नहीं मिल रही थी.
इतना ही नहीं उड़ीसा सरकार ने राउरकेला में बहुत आधुनिक और विश्वकप का सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम तक बनवा दिया है. जिससे उनकी काफी वाह-वाही हो रही है. उड़ीसा में हॉकी का अलग ही बदला रूप है. यहां का युवा बचपन से ही हॉकी से प्यार करने लग जाता है. और अन्य किसी खेल के बारे में ना सोचकर वह हॉकी में अपनी किस्मत आजमाता है.
विश्व का सबसे बड़ा स्टेडियम बना उड़ीसा में
उड़ीसा सरकार ने इतना ही नहीं 69 छोटे-छोटे हॉकी स्टेडियम बनवाए है और अब उनका अगला लक्ष्य हर गाँव, शहर में एस्ट्रोटर्फ वाला हॉकी मैदान बनवाना है. ताकि किसी भी खिलाड़ी या टीम को खेलने में कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े.
बताया गया है कि उड़ीसा द्वारा जूनियर पुरुष विश्वकप, प्रो लीग, FIH ओलम्पिक क्वालीफायर एयर FIH सीरीज फाइनल जैसे प्रमुख हॉकी आयोजनों का हिस्सा बना है. इससे देश में हॉकी को काफी मजबूती मिली है. इसके साथ ही हॉकी को लेकर भी काफी आयोजन यहां हुए हैं. इसके साथ ही हॉकी के लिए दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम भी उड़ीसा में बनाया गया है. उन्होंने कहा कि कलिंगा हॉकी स्टेडियम और बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम दुनिया के शीर्ष स्टेडियम में से एक हैं.
इस दौरान खेल मंत्री और युवा सेवा मंत्री ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री को अवगत कराया है. उनकी राज्य सरकार ने शानदार निर्माण के साथ ही काम किया है. सफल आयोजन भी किए हैं और खेलों के पसंदीदा स्थान के रूप में यह उभरा भी है. उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने देश के युवाओं को हॉकी से जोड़ने के लिए कई मुहीम भी चलाई. इतना ही नहीं भारत लगातार दो बार विश्वकप का आयोजक भी बन चुका है. साथ ही उड़ीसा सरकार ने खिलाड़ियों को वो सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई है जिसका वह हकदार था और उन्हें नहीं मिल रही थी.
इतना ही नहीं उड़ीसा सरकार ने राउरकेला में बहुत आधुनिक और विश्वकप का सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम तक बनवा दिया है. जिससे उनकी काफी वाह-वाही हो रही है. उड़ीसा में हॉकी का अलग ही बदला रूप है. यहां का युवा बचपन से ही हॉकी से प्यार करने लग जाता है. और अन्य किसी खेल के बारे में ना सोचकर वह हॉकी में अपनी किस्मत आजमाता है.
10 सालों के लिए बढ़ा उड़ीसा और हॉकी इंडिया का करार
जूनियर टीम के साथ सीनियर टीम की प्रायोजक भी उड़ीसा सरकार ही रहेगी. बता दें उड़ीसा सरकार साल 2018 से ही भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीम की प्रायोजक बनी थी. भारतीय हॉकी का प्रायोजक बनने के बाद से ही उड़ीसा सरकार ने हॉकी को बढ़ावा देने के लिए काफी काम किए हैं. हाल ही में उड़ीसा में ही हॉकी का विश्वकप खेला गया था. जिसमें भारतीय दूसरे दौर से ही बाहर हो गई थी. उड़ीसा
सरकार ने भर्ती हॉकी के अध्यक्ष से इस अनुबंध को बढ़ाने की मांग की थी. इसके बाद उड़ीसा सरकार की अनुमति पर उन्होंने यह अनुबंध 10 सालों के लिए बढ़ा दिया है. वहीं अब यह अनुबंध जनवरी 2033 तक के लिए मान्य होगा. इसके साथ ही हॉकी इंडिया को 434.12 करोड़ रुपए उड़ीसा खनन निगम की ओर से दिए जाएंगे.
उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने देश के युवाओं को हॉकी से जोड़ने के लिए कई मुहीम भी चलाई. इतना ही नहीं भारत लगातार दो बार विश्वकप का आयोजक भी बन चुका है. साथ ही उड़ीसा सरकार ने खिलाड़ियों को वो सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई है जिसका वह हकदार था और उन्हें नहीं मिल रही थी.