Thomas Cup 2022 : भारतीय शटलर और अब Thomas Cup 2022 Final कि विजेता टीम ने भारत के लोगो की बैडमिंटन के प्रति उनकी नाकारात्मक सोच को बदल कर रख दिया है . लक्ष्य सेन(Lakshya Sen), किदांबी श्रीकांत(Kidambi Srikanth), एच एस प्रणय(HS Prannoy) और सात्विकसाईराज(Satwiksairaj) ,रंकीरेड्डी-चिराग शेट्टी(Rankireddy-Chirag Shetty) ने जो धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ खेल में अपनी सहस दिखाई है उससे दुश्मन को धराशायी कर दिया |
लंबे समय से हमने अपने मन में इन बातो को बैठा लिया है की क्रिकेट को छोड़ कर बाकी खेलो में हम राष्ट्रीय स्तर पर काफी पीछे है | जब चिराग (Chirag)और सात्विक(Satwik) ने एक मैच में चार पॉइंट बचाए थे तो इसे खेल में उनकी शानदार वापसी माना गया|
मजाक उड़ाने वाले अब उन्हें सलाम कर रहे हैं
सभी खिलाड़ियों को लेकर यह संदेह फैलाया जा रहा था . कि भारतीयों बैडमिंटन खिलाड़ियों में मैच का दम नहीं है . हम लोग सिर्फ अपने देश में ही अच्छा खेलते हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीतने में विफल हो जाते है . हमने खुद दूसरों को अपने ऊपर हंसने की अनुमति दी है. यहां जो भी शब्द इस्तेमाल किये जा रहे हैं वह स्थिति को बताने के लिए काफी कम हैं|
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हमारे देश के लिए यह कहाँ जाता है कि हमारा आहार ठीक नहीं है, हमारे देश के लिये खेल रहे खिलाड़ियों के खाने में उचित मात्रा में प्रोटीन नहीं मिलता. हम चावल-दाल खाने वाले लोग हैं. जिन्दगी की जंग में हम बहुत जल्दी हार मान जाने में से है और काम और किस्मत पर विश्वास करने वाले लोग हैं जो हमें खुद को सामान्य बनाता है और हम आसमान को छूने की कोशिश नहीं करते हैं. चाहे वह विज्ञान हो या कला, प्रौद्योगिकी हो या व्यवसाय, ऊंची उड़ान भरने की तमन्ना रखने वाले प्रसिद्ध और सफल भारतीयों को देश छोड़ कर बाहर जाना पड़ता है क्योंकि भारतीय का मतलब औसत दर्जे का होना है. यह एक बार फिर यह उसी बहाने की तरह है जिससे हमें ऊंची उड़ान भरने से रोका जाता है और हार को लेकर हमें एक और बहाना मिल जाता है|