Indian Beach Kabaddi Controversy: दिल्ली हाई कोर्ट के हाल ही में दिए गए आदेश के बाद भारतीय बीच कबड्डी का भविष्य अधर में लटक गया है।
न्यायालय वर्तमान में भारतीय एमेच्योर कबड्डी महासंघ (AKFI) की कार्यकारी समिति के हाल ही में हुए चुनाव की वैधता की जांच कर रहा है। इस अनिश्चितता ने खेल पर, विशेष रूप से बिहार में होने वाली आगामी 11वीं बीच कबड्डी राष्ट्रीय चैंपियनशिप पर ग्रहण लगा दिया है।
HC के आदेश के मुख्य बिंदु
- न्यायालय इस बात की जांच कर रहा है कि क्या AKFI ने अपनी कार्यकारी समिति के लिए हाल ही में हुए चुनाव में उचित प्रक्रियाओं का पालन किया है।
- इसमें शामिल कुछ पक्षों का मानना है कि चुनाव न्यायालय के पिछले निर्देशों का पालन नहीं करते हैं।
- न्यायालय ने मामले में शामिल सभी पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है, ताकि वे अपनी दलीलें पेश कर सकें।
- विभिन्न पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को अगले कुछ हफ्तों में अपने जवाब और प्रतिवाद दाखिल करने का मौका मिलेगा।
- मामले पर अंतिम सुनवाई 29 जुलाई, 2024 को निर्धारित है।
पूरी Controversy का बैकग्राउंड क्या है?
वर्तमान स्थिति AKFI और इसके कुछ सदस्यों के बीच हाल ही में हुए चुनावों को लेकर असहमति से उपजी है। अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी महासंघ (IKF) के चेयरमैन विनोद तिवारी ने कथित तौर पर IKF के कार्यकारी बोर्ड की मंजूरी के बिना भारतीय बीच कबड्डी टीमों को अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने से रोक दिया है।
तिवारी का यह निर्णय एक अलग मुद्दा है, लेकिन भारत में कबड्डी के संचालन को लेकर भ्रम की स्थिति को बढ़ाता है।
Indian Beach Kabaddi के लिए इसका क्या मतलब है?
हाई कोर्ट के आदेश ने खेल के लिए अनिश्चितता पैदा कर दी है। संभावित परिणामों का डिटेल इस प्रकार है:
- आगामी राष्ट्रीय चैंपियनशिप पर प्रभाव: बिहार में होने वाली 11वीं बीच कबड्डी राष्ट्रीय चैंपियनशिप न्यायालय के अंतिम निर्णय के आधार पर प्रभावित हो सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी: भारतीय टीमों को बैन करने का IKF का निर्णय संभावित रूप से भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय बीच कबड्डी आयोजनों में उनकी भागीदारी को प्रभावित कर सकता है।
Kabaddi Controversy में कौन-कौन है शामिल?
मनोजन राजन एवं अन्य (याचिकाकर्ता): इन याचिकाकर्ताओं ने HC में एक मामला दायर किया है, जिसमें AKFI द्वारा हाल ही में किए गए चुनावों के तरीके को चुनौती दी गई है।
एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) (प्रतिवादी): AKFI भारत में कबड्डी के लिए शासी निकाय है और इसकी कार्यकारी समिति के लिए चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है।
विनोद तिवारी (अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय कबड्डी महासंघ): तिवारी द्वारा भारतीय बीच कबड्डी टीमों को अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों से प्रतिबंधित करने का निर्णय एक अलग मुद्दा है, लेकिन इससे स्थिति और जटिल हो गई है।
केपी राव (बीच कबड्डी के संस्थापक): केपी राव ने विनोद तिवारी पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।
बीच कबड्डी के संस्थापक, केपी राव ने IKF के अध्यक्ष विनोद तिवारी पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। विनोद तिवारी ने IKF के कार्यकारी बोर्ड के सदस्यों की मंजूरी के बिना भारतीय बीच कबड्डी टीम को अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में भाग लेने से रोक दिया है।
इस स्थिति को और जटिल बनाने वाली भूमिका तिवारी की है। विनोद तिवारी IKF के चेयरमैन हैं और वे ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया (OCA) में भी एक पद पर हैं।
इससे हितों के टकराव की चिंता पैदा होती है, क्योंकि ओलंपिक चार्टर ऐसे पदों पर रहने को हतोत्साहित करता है जो विभिन्न संगठनों के निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।
इससे पहले, IKF के चेयरमैन विनोद तिवारी ने दावा किया था कि एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) उनके मानकों के अनुसार काम नहीं कर रहा है।
उन्होंने बताया कि AKFI वर्तमान में एक प्रशासक के नियंत्रण में है, भले ही AKFI ने पिछले साल सफलतापूर्वक चुनाव आयोजित किए हों।
आगे क्या होगा?
Indian Beach Kabaddi Controversy: दिल्ली उच्च न्यायालय 29 जुलाई, 2024 को सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनेगा। न्यायालय का अंतिम निर्णय AKFI के हालिया चुनावों की वैधता और भारतीय बीच कबड्डी के लिए भविष्य की कार्रवाई का निर्धारण करेगा।
यह एक विकासशील स्थिति है, और आने वाले हफ्तों में हमें और अधिक जानकारी सामने आने की संभावना है। अदालती मामले के परिणाम और खेल पर इसके प्रभाव के बारे में आगे की जानकारी के लिए हमारे साथ बने रहें।
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