Suhas L Yathiraj becomes World No. 1 para shuttler: भारतीय पैरा शटलर सुहास यथिराज ने मंगलवार को BWF पैरा बैडमिंटन विश्व रैंकिंग में फ्रांसीसी दिग्गज लुकास माजुर (Lukas Mazur) को पछाड़कर नंबर 1 पोजीशन हासिल किया है।
40 वर्षीय अर्जुन पुरस्कार विजेता, जिन्होंने टोक्यो पैरालिंपिक में माजुर से हारने के बाद एसएल-4 कैटेगरी में रजत पदक जीता था, उन्होंने अब 60,527 प्वाइंट अर्जित किए हैं, जो माजुर के 58,953 अंकों से आगे हैं।
सुहास ने अपने सोशल मीडिया पर घोषणा करते हुए लिखा:
“आखिरकार वर्ल्ड नंबर 1, यह शेयर करते हुए खुशी हो रही है कि, मेंस सिंगल कैटेगरी के लिए आज घोषित नवीनतम बैडमिंटन विश्व महासंघ पैरा बैडमिंटन रैंकिंग में, मैंने विश्व नंबर 1 रैंकिंग हासिल की है।”
उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी सुहास ने इस साल फरवरी में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को हराकर विश्व चैंपियनशिप का खिताब जीता था।
पैरा बैडमिंटन में एसएल-4 कैटेगरी उन खिलाड़ियों के लिए है जिनके शरीर के एक तरफ, दोनों पैरों में मामूली हरकत संबंधी कमी है और अंगों में मामूली कमी है।
ये एथलीट पूरी चौड़ाई वाले कोर्ट पर खड़े होकर खेलते हैं और कोर्ट में अच्छी हरकत और शॉट्स की पूरी रेंज का प्रदर्शन करते हैं।
कौन हैं सुहास एलवाई? | Who is Suhas L Yathiraj?
फरवरी 2023 में वह यूथ वेलफेयर एंड प्रोविएंशियल गार्ड के सेक्रेटरी और डायरेक्टर जनरल बनाएं गए। तब से वह उसी पद पर कार्यरत है। उनका जन्म कर्नाटक के शिगोमा में हुआ था। उन्होंने अपनी तकदीर को अपने हाथों से लिखा है। वह जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) थे और बचपन से उनका सपना IAS बनने का नहीं था। हालांकि वह बचपन से ही खेल के प्रति आकर्षित थे।
खेल में आगे बढ़ने के लिए उन्हें घर वालों का पूरा सपोर्ट मिलता था। पैरों के सही तरह से काम न करने की वजह से उन्हे समाज का ताना सुनना पड़ता था, लेकिन सुहास के पिता ने कभी भी अपने बेटे का हौसला टूटने नहीं दिया।
सुहास के पिता अपने बेटे को सामान्य बच्चों की तरह ही देखते थे। परिवार ने उन्हे कभी भी खेलने से नहीं रोका, सुहास का जो मन होता था वह खेलते थे और घर वाले उन्हे सपोर्ट करते थे। सुहास के पिता की नौकरी ट्रांसफर वाली थी, इसलिए सुहास का बचपन एक शहर से दूसरे शहर में घूमते हुए बीता।
पिता की मौत के बाद UPSC की तैयारी
सुहास नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग पूरी की है। 2005 में उनके पिता की मौत के बाद वह पूरी तरह से टूट गए। उनको पीता की कमी खलती रही, पिता की मौत से वह उभर नहीं आ रहे थे। इस बीच उन्होंने ठान लिया कि वह सिविल सर्विस की तैयारी करेंगे। उसके बाद से उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की।
उनकी मेहनत रंग लाई और वह UPSC परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई। फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने। सुहास बड़े अधिकारी बन चुके थे, लेकिन वो इतने पर ही नहीं रुके।
ऐसे शुरू हुआ बैडमिंंटन का सफर
शुरुआत में सुहास दफ्तर की थकान मिटाने के लिए बैडमिंटन खेलते थे, लेकिन जब उनको इस खेल में रुचि आने लगी तो वह छोटे मोटे टूर्नामेंट में भाग लेने लगे। इसके बाद उन्होंने बैडमिंटन को प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया।
चीन में 2016 में उन्होंने बैडमिंटन टूर्नामेंट में भाग लिया और वह हार गए। लेकिन इसके बाद से वह लगातार खेलते रहे और उन्होंने याज सफर लागतार जारी रखा है। अब Suhas L Yathiraj दुनिया के नबर 1 पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए हैं।
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