आज बात भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान चरणजीत सिंह (Charanjit Singh) की जिनका 92 साल की उम्र में निधन हो गया, मगर हॉकी की स्मृतियों से उनको कभी नहीं भुलाया जा सकता. ये वही चरणजीत सिंह हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और अपनी शानदार प्रदर्शन के बल पर 1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाया था.
आपको बता दें चरणजीत सिंह (Charanjit Singh) ने 1964 टोक्यो ओलंपिक्स में अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को गोल्ड मेडल दिलाया था.
भारतीय हॉकी के पूर्व कप्तान चरणजीत सिंह (Former Captain Indian Hockey Team Charanjit Singh) को पद्मश्री और और अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.
चरणजीत सिंह के परिवार में दो बेटे और एक बेटी है उनके बेटे बताते हैं कि उनकी मृत्य से लगभग 5 साल पहले स्ट्रोक हुआ था जिसके बाद से वह लकवा ग्रस्त थे उनके बेटे वी पी सिंह ने बताया कि वे छड़ी से चलते थे लेकिन पिछले 2 महीने से उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी और 27 जनवरी 2022 की सुबह उन्हें ने अंतिम सांस ली.
Charanjit Singh का करियर
चरणजीत सिंह का करियर कोई मामूली कैरियर नहीं था उन्होंने टोक्यो ओलंपिक्स में भारतीय टीम को अपनी कप्तानी में गोल्ड मेडल दिल आया था और साथ ही 1960 में रूम ओलंपिक की रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा भी रहे थे.
साल 1962 में हुए एशियाई खेलों में भारत ने जब रजत पदक जीता उस वक्त भी चरणजीत सिंह (Charanjit Singh) भारतीय हॉकी टीम का एक अहम हिस्सा है.
भारतीय हॉकी से संन्यास लेने के बाद चरणजीत सिंह लगातार खेल को बढ़ावा देने के लिए कार्य करते रहें वे खेलों से जुड़े रहे लोगों को प्रेरित करते रहे कि हमें खेलों में भारत को और आगे बढ़ाना है उन्होंने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला के फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट का डायरेक्टर पद भी संभाला.