भारत महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर सलीमा टेटे ने कहा कि टीम इस साल की
शुरुआत में एक विश्वकप के बाद बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतना चाहती थी.
भारतीय महिला टीम ने पेनल्टी शूटआउट में न्यू]ज़ीलैंड को हराकर बर्मिंघम में कांस्य पदक जीता था.
लेकिन इससे पहली भारत को स्पेन और नीदरलैंड द्ववारा संयुक्त रूप से
आयोजित विश्वकप में हार का सामना करना पड़ा था. जिसपर भारत की टीम नौवें स्थान पर रही थी.
सलीमा टेटे ने पदक जीतने पर जताई ख़ुशी
टेटे ने कहा कि एफआईएच हॉकी महिला विश्वकप स्पेन और नीदरलैंड में हमारे
खराब अभियान के बाद टीम का उद्देश्य और हमारा ध्यान बहुत स्पष्ट था. हम
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में अच्छा प्रदर्शन करना चाहते थे कोई अन्य विकल्प नहीं था.
उन्होंने हॉकी ते चर्चा कार्यक्रम में कहा कि हमें यकीन था
की भारत लौटने से पहले हमें पदक प्राप्त करना होगा. कुछ ना कुछ करना ही है.
बात करें सलीमा की तो वह 20 साल की उम्र में भारतीय महिला
हॉकी टीम में सेलेक्ट होने वालीं सबसे कम उम्र की सदस्यों में से एक हैं.
हालांकि राष्ट्रीय सेट अप में अभी भी नया है वह अपने जीवन को बदलने के लिए इस खेल को श्री देती है. हालांकि
राष्ट्रीय खेल खेलने से उनके जिन्दगी काफी बदल गई है.
टेटे ने कहा कि ,मैं अपने खेल में और सुधार करना चाहती हूँ और देश के लिए और मैडल लाना छाती हूँ.
सलीमा भारत के पूर्व कप्तान अन्सुता लकड़ा और निक्की प्रधान को
अपना आदर्श मानती हैं दोनों का उनके करियर में बड़ा प्रभाव था.
देश के लिए जीतना चाहती है और पदक
सलीमा का कहना है कि उनके जीवन में इन खिलाड़ियों का
सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है उन्होंने जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखें है
लेकिन उनके परिवार, मित्र, माता-पिता ने उनका हमेशा सहयोग किया
जिससे वो इस जगह पर खुद को पाती है. टेटे देश के एक छोटे से क्षेत्र
में से आती है जहाँ ढंग से भाषा का ज्ञान भी नहीं हो पाटा है लेकिन हॉकी इंडिया की मदद से
वो भी अब सम्भव हो पाया है.