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भारतीय महिला हॉकी टीम की बेहतरीन खिलाड़ी सलीमा टेटे का नाम दुनिया में शुमार हैं. उनकी यात्रा इसमें काफी कठिन रही है. उन्होंने अपनी यात्रा के बारे में बात की थी. इस दौरान उन्होंने अपनी मेहनत और काफी सारे संघर्ष के दिनों को याद किया था. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए अपने संघर्ष के दिनों को याद दिया था. साथ ही उन्होंने बहुत साड़ी बातों को भी उजागर किया था.
सलीमा आगे भी जारी रखेगी शानदार प्रदर्शन
सलीमा ने इस दौरान कहा कि, ‘यह यात्रा मेरे लिए काफी कठिन रही है. यह यात्रा मेरे साथियों और कोचिंग स्टाफ से मिले लगातार समर्थन के बिन संभव नहीं थी. इन्होने मुझे हमेशा ताकत प्रदान की है ताकि मैं आगे बढ़ सकूं.’ सलीमा ने आगे कहा कि, ‘इन्हीं लोगों ने मुझे अपनी ताकत के अनुसार खेलने के लिए मनोबल बढ़ाया था. और मुझे खुद को आराम से खेलने के लिए आजादी दी थी. मुझे आशा है कि मैं अब आगामी खेलों में और टूर्नामेंट में अपना प्रदर्शन अच्छा रखूंगी.’ सलीमा के बारे में बता दें कि उन्होंने इसे खेलने की शुरुआत बचपन से कर दी थी. उन्होंने अपने करियर में काफी उतार-चढाव देखे थे लेकिन वह हारी नहीं और आगे बढ़ती गई थी.
बात करें सलीमा कि तो वह 20 साल की उम्र में भारतीय महिला हॉकी टीम में सेलेक्ट होने वालीं सबसे कम उम्र की सदस्यों में से एक हैं. हालांकि राष्ट्रीय सेट अप में अभी भी नया है वह अपने जीवन को बदलने के लिए इस खेल को श्री देती है. हालांकि राष्ट्रीय खेल खेलने से उनके जिन्दगी काफी बदल गई है. टेटे ने कहा कि ,मैं अपने खेल में और सुधार करना चाहती हूँ और देश के लिए और मैडल लाना छाती हूँ. सलीमा भारत के पूर्व कप्तान अन्सुता लकड़ा और निक्की प्रधान को अपना आदर्श मानती हैं दोनों का उनके करियर में बड़ा प्रभाव था.
बता दें सलीमा ने अपने गांव में भी हॉकी को बढ़ावा देने के लिए काफी अच्छा काम किया है.