खेल किसी एक विशेष क्षेत्र और भाषा को नहीं देखता है.
खेल देखता है तो सिर्फ आपके हुनर को. यह बात सिद्ध की है
सिमडेगा की बेटियां डिफेंडर सलीमा टेटे और स्ट्राइकर संगीता कुमारी ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाया है.
ग्रामीण परिवेश में जन्मी दोनों बेटियाँ सामान्य से स्कूल से पढ़कर निकली और अपनी प्रतिभा के
दम पर इस मुकाम पर पहुंची है.
सिमडेगा से निकली खेल प्रतिभा
लेकिन हॉकी के अलावा उन्हें एक बात की समस्या हुई वो उनकी अंग्रेजी थी.
ग्रामीण परिवेश में अंग्रेजी का ज्यादा बाहुल्य ना होने के चलते उन्हें इसकी समझ कम रही.
इसलिए मैच के दौरान रेफरी या विदेशी खिलाड़ियों की बातें समझ नहीं पाती है.
इससे उनका कांफिडेंस भी कम रहता है. उनकी इसी कमजोरी के चलते अब
हॉकी इंडिया ने शानदार फल करते हुए सिमडेगा के खिलाड़ियों को अंग्रेजी सिखाने का जिम्मा उठाया है.
हॉकी इंडिया ने इसके लिए प्रतिमा तिर्की को अंग्रेजी सिखाने का काम सौंपा है.
ओलिंपिक खिलाड़ी सलीमा टेटे और राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम की स्टार स्ट्राइकर संगीता
ने कहा कि जब आप विदेशी मैदान पर खेल रहे हों तो अंग्रेजी जानना भी बहुत जरुरी है.
हॉकी इंडिया की मुहीम
आप अंग्रेजी बोलते और समझते है तो आप रेफ़री और विरोधी खिलाड़ियों की बात को समझ सकते हैं.
इसका फायदा मानसिक रूप से भी मिलता है और मन में हीन भावना भी नहीं आती है.
हमनें भी अंग्रेजी जिसका हमें बहुत फायदा हुआ है.
हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोनबेगी का कहना है कि हॉकी की नर्सरी सिमडेगा के दर्जनों खिलाड़ी
साल भर राष्ट्रीय एवं अन्य खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए इधर उधर जाते रहते है.
इस बीच उनकी पढ़ाई छूट जाती है और सिलेबस पूरा नहीं हो पाता है.
परिणाम के फलस्वरूप उनका शैक्षणिक रिजल्ट बेहतर नहीं हो पाता है.
इसके कारण भविष्य में वे कई प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ जाते हैं.
हॉकी इंडिया के इस पहल के साथ नए और ग्रामीण खिलाड़ियों को काफी मदद मिलेगी.