भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी देश में काफी लोकप्रिय तो है लेकिन इसके कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो बदहाली की हालत में जीवन यापन कर रहे है. एक समय वही खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर काफी नाम कमाते है. लेकिन जब वह इस खेल को अलविदा कह देते है तब उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता है. यही हाल मध्यप्रदेश के सागर में रहने वाले खिलाड़ी टेक चंद यादव का हो रहा है. वह अपने उम्र के 82 साल गुजार चुके है और उनकी हालत हाल के दिनों में काफी खराब है. वह इस उम्र में टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर जीवन गुजार रहे हैं. इतना ही नहीं वह हॉकी के जद्दोगर मेजर ध्यानचंद के शिष्य भी रह चुके हैं.
टेक चंद यादव दो वक्त की रोटी के भी हुए मोहताज
कभी अपने देश के लिए हॉकी में नाम कमाने वाले यह खिलाड़ी आज दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हो चुके हैं. सागर के रहने वाले टेक चंद यादव मेजर ध्यानचंद के शिष्य भी रह चुके हैं. और वो हॉकी खिलाड़ी और रेफरी मोहर सिंह के गुरु भी रह चुके हैं.
इसमें टेक चंद यादव ने अपने खेल का शानदार प्रदर्शन किया था. इसके अलावा भी टेक चंद यादव उन टीमों में शामिल रहे जिसने जीत दर्ज की. टेकचंद स्कूल के समय से ही हॉकी खेलते आ रहे हैं. उनके पिता आर्मी में ठेकेदार भी रहे थे. उन्होंने टेकचंद की रूचि को देखते हुए जिला हॉकी टीम में भी शामिल कराया था. और वहां उन्होंने हॉकी के बारीक से बारीक गुर भी सीखे थे.
इतना ही नहीं टेकचंद ने जिला हॉकी एसोसिएशन की टीम से खेलते हुए भोपाल, दिल्ली और चंडीगढ़ में शानदार हॉकी खेल का प्रदर्शन भी किया था. और कई टूर्नामेंट में शानदार जीत भी उनके बलबूते पर आई थी. न्यूजीलैंड और हॉलैंड की टीम भारत आई तब उन्होंने उनके विरुद्ध भी मैच खेला था. इन दोनों टीमों का एक-एक मैच भोपाल से कराया गया था तब वह इस टीम के हिस्सा थे.
टेकचंद के पिता के गुजरने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना छोड़ दिया था. इसके बाद उनके परिवार में दुःख का पहाड़ टूट पड़ा. और उनकी पत्नी और बेटी का भी देहांत हो गया. तब से उनकी यह हालत हो चुकी है.