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भारत की स्टार हॉकी खिलाड़ी और टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल बेहतरीन खिलाड़ियों में से एक हैं. उन्होंने 250 अन्तर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं जिसमें 117 गोल किए हैं. भारत के बेहतरीन गोलकीपर में से एक रही हैं. वर्ष 2009 में आयोजित महिला हॉकी चैम्पियंस चैलेन्ज में रानी रामपाल के शानदार प्रदर्शन ने सभी को प्रभावित किया था. उसमें इन्होने 7 गोल किये और टॉप स्कोरर पर इनका नाम था. फाइनल में भी रानी ने चार गोल किए और भारत ने बेल्जियम के खिलाफ वो मैच जीत कर टूर्नामेंट जीता था.
रानी रामपाल के द्वारा खेली पांच सबसे बेहतरीन मैच
वहीं अर्जेंटीना में खेले गए महिला हॉकी विश्वकप टीम का प्रदर्शन शानदार नहीं रहा लेकिन रानी के लिए यह टूर्नामेंट शानदार रहा. 2010 में खेले गए विश्वकप में 15 वर्षीय रानी ने सात में से पांच गोल जड़े थे. और उन्हें इसके लिए यंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का अवार्ड भी मिला था.
इसके अलावा जर्मनी में आयोजित 2013 में आयोजित महिला हॉकी जूनियर विश्वकप में भारत तीसरा स्थान हासिल कर सका था. और उसे कांस्य से संतोष करना पड़ा था. रानी ने उस टूर्नामेंट में भी शानदार प्रदर्शन कर चार गोल अपने नाम किए थे.
ऐसे ही 2017 में भारत ने हॉकी टीम की कमान रानी को सौंपी और इसी कप्तानी में उन्होंने एशिया कप जीता था. भारत ने इसमें दूसरा एशिया कप जीता था. इस टूर्नामेंट में रानी ने तीन गोल किए थे. रानी के नेतृत्व में सिंगापुर के खिलाफ भारत ने रिकॉर्ड 10-0 से जीत दर्ज की थी.
वहीं इसके साथ टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय हॉकी ने शानदार प्रदर्शन किया था. पुरुष हॉकी टीम ही नहीं बल्कि महिला हॉकी टीम ने भी कमाल का प्रदर्शन किया था. हालांकि महिला टीम चौथे स्थान पर रही थी और उसे कोई मेडल नहीं मिल सका था. हालांकि महिला टीम के प्रदर्शन ने सभी का दिल जीत लिया था.
हॉकी खेलने के लिए करना पड़ा संघर्ष
भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रह चुकी रानी रामपाल का जीवन शुरुआत से ही काफी संघर्ष भरा रहा है. इसके चलते उन्हें काफी गरीबी में जीवन यापन करना पड़ा था. एक इंटरव्यू में उन्होंने अपनी कहानी बताई कि उनके पास भोजन की भी व्यवस्था नहीं होती थी. कच्चे मिटटी के मकान में उन्होंने अपना जीवन निकाला है. इसके साथ ही अगर सुबह का भोजन मिल जाता तो शाम के भोजन की दिक्कत आ जाती थी.
रानी ने आगे बताया कि पहले तो उनके घरवाले हॉकी खेलने के लिए राजी नहीं हो रहे थे. लेकिन मैंने माता-पिता को कहा कि हॉकी खेलना चाहती हूँ इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रिश्तेदार और समाज वाले क्या सोचेंगे. रानी रामपाल ने बताया कि उन्होंने अपने गांव में सात साल की उम्र में ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था. उस समय लड़कियों को बाहर आने की अनुमति नहीं थी. छोटे शॉर्ट्स के साथ खेलना तो और कठिन होता था. लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और खेलना जारी रखा था.
अनुभव के साथ पूरे किए 250 अन्तर्राष्ट्रीय मैच
रानी रामपाल कि बात करने तो वह भारतीय महिला हॉकी में सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक है. इसी साल उन्होंने फिर से भारतीय टीम में वापसी की है. इससे पहले उन्होंने 2021-22 में एफआईएच प्रो लीग खेला था.जिसमें उन्होंने 250 अन्तर्राष्ट्रीय मैच पूरे किए थे. टोक्यो ओलम्पिक के बाद से वह चोट की वजह से मैदान के बाहर थी. इतना ही नहीं उन्होंने टोक्यो ओलम्पिक के बाद से किसी भी बड़े टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया था.
रानी रामपाल देश की पहले महिला खिलाड़ी बन गई है जिनके नाम पर स्टेडियम बना है. रायबरेली में एक हॉकी स्टेडियम का नाम बदलकर रानी रामपाल के नाम पर किया गया है. अपने नाम पर स्टेडियम का नामकरण किए जाने पर रानी बहुत खुश नजर आई हैं. इसके साथ ही खिलाड़ियों को उन्होंने प्रोत्साहित किया था.
भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार खिलाड़ी रानी रामपाल ने गुरुवार को राइजिंग इंडिया समिट में भाग लिया था. इस दौरान उन्होंने मीडिया से रूबरू होकर बातचीत भी की थी. उन्होंने इस दौरान कहा कि आज महिलाएं ना सिर्फ खेल में बल्कि हर क्षेत्र में अपने आप को साबित कर रही है. खेल एक बहुत अलग ही फील्ड है आज तो महिलाएं हर फील्ड में अच्छा काम कर रही है.’
रानी रामपाल ने हमेशा उठाई महिलाओं की आवाज
स्टार हॉकी खिलाड़ी ने आगे कहा कि, ‘अगर हम 20 साल पहले की बात करें तो शायद महिलाओं के लिए स्पोर्ट्स में कोई जगह नहीं थी लेकिन समय के साथ हर चीज बदलती गई है. इस सोच में भी बदलाव आया है और महिलाओं ने खेलों में ना सिर्फ अपने जिज्ञासा दिखाई है बल्कि अच्छा काम करके भी दिखाया है.’
रानी रामपाल ने आगे कहा कि, ‘हर ओलम्पिक खेलों में महिला खिलाड़ी ज्यादा अच्छा काम कर रही है.इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा मेडल्स जीतकर ला रही है जिससे देश का नाम ऊंचा हो रहा है. इससे देश में एक बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है. लेकिन एक चीज और बेहद अहम है वो है जज्बा जो यहां की महिला खिलाड़ियों में नजर आ रहा है. बिना इच्छाशक्ति और जुनून के कुछ भी सम्भव नहीं है.’
रानी रामपाल कि बात करने तो वह भारतीय महिला हॉकी में सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक है. इसी साल उन्होंने फिर से भारतीय टीम में वापसी की है. इससे पहले उन्होंने 2021-22 में एफआईएच प्रो लीग खेला था.जिसमें उन्होंने 250 अन्तर्राष्ट्रीय मैच पूरे किए थे. टोक्यो ओलम्पिक के बाद से वह चोट की जवह से मैदान के बाहर थी. इतना ही नहीं उन्होंने टोक्यो ओलम्पिक के बाद से किसी भी बड़े टूर्नामेंट में भाग नहीं लिया था.
रानी रामपाल देश की पहले महिला खिलाड़ी बन गई है जिनके नाम पर स्टेडियम बना है. रायबरेली में एक हॉकी स्टेडियम का नाम बदलकर रानी रामपाल के नाम पर किया गया है. अपने नाम पर स्टेडियम का नामकरण किए जाने पर रानी बहुत खुश नजर आई हैं.
कई मैचों में भारतीय टीम के लिए किया यादगार प्रदर्शन
बता दें रानी रामपाल ने FIH महिला हॉकी प्रो लीग 2021-22 में बेल्जियम के खिलाफ खेलें के बाद इस साल की शुरुआत में वापसी की थी. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के दौरे से भारतीय टीम में वापसी की थी. हॉकी प्रो लीग में रानी ने 250 वां मैच खेला था. बता दें 28वर्षीय रानी टोक्यो ओलम्पिक के बाद से ही चोट से जूझ रही थी. लेकिन उन्हों मेहनत क्र वापसे से हॉकी में वापसी की है. और रानी को अन्तर्राष्ट्रीय टीम में फिर से लिया गया है.
वर्ष 2009 में आयोजित महिला हॉकी चैम्पियंस चैलेन्ज में रानी रामपाल ने शानदार प्रदर्शन किया था. उसमें इन्होने 7 गोल किये और टॉप स्कोरर पर इनका नाम था. फाइनल में भी रानी ने चार गोल किए और भारत ने बेल्जियम के खिलाफ वो मैच जीत कर टूर्नामेंट जीता था.