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भारतीय जूनियर महिला एशिया कप में टीम का प्रदर्शन काफी शानदार रहा है. टीम में सभी खिलाड़ियों का प्रदर्शन काफी जोरदार रहा था. ऐसे में फाइनल मुकाबले में दक्षिण कोरिया टीम को पटखनी देते हुए जीत दर्ज की थी. जापान में हुए टूर्नामेंट में खिलाड़ियों के प्रदर्शन की सभी ने सराहना की है. वहीं इस टीम में हरियाणा के सोनीपत की एक खिलाड़ी थी जिसने अपने दम पर फाइनल में जीत दर्ज कराई है. मंजू ने फाइनल में शनदार प्रदर्शन किया था. उनके पिता पनवाड़ी का काम करते हैं.
पिता है पनवाड़ी पर बेटी बनी हॉकी प्लेयर
बता दें मंजू का जीवन काफी संघर्षों में बीता है. उन्होंने बचपन से ही हॉकी को अपना सपना बना लिया था. वहीं उनके पिता भगत एक छोटी सी पान की दूकान चलाते हैं. वहीं उनके घर में दो भाई भी है. और मां मुनावती जैसे-तैसे घर का खर्चा चलाती है. उनके पिता ने कुछ सालों तक फैक्ट्री में भी काम किया था. बता दें पूर्व महिला कप्तान प्रीतम सिवाच से मंजू की मुलाकात हुई थी. सिवाच की एकेडमी में ही मंजू ने खेलना शुरू किया था.
वहीं प्रीतम ने मंजू को हॉकी के गुर सिखाए इसके साथ ही आर्थिक सहायता भी की थी. वहीं प्रीतम ने ही मंजू को खेलने के लिए हॉकी किट भी दिया था. बता दें मंजू की इस जीत से उनका पूरा परिवार खुश है. वहीं उनके आस पड़ौस के लोग और इसके साथ ही उनके कोच भी उनकी कामयाबी में खुश है.
प्रीतम सिवाच ने की हर कदम पर मदद
बता दें बचपन से ही मंजू में जज्बा भरा हुआ था. मंजू के पास चाहे खेलने की सामग्री नहीं थे लेकिन उनके सपने ने और कठिन परिश्रम ने सब व्यवस्था कर दी और अब वह देश का नाम रोशन कर रही है. घरवालों का कहना है कि प्रीतम हमारे लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है. उनकी बदौलत हमारी बेटी की अभी रेलवे में भी नौकरी लग गई है. बता दें मंजू के कठिन परिश्रम की बदौलत ही उन्हें यह मुकाम मिला है. इसके साथ ही मंजू का सपना है कि राष्ट्रीय टीम में खेलते हुए वह देश को पदक दिलाए.