भारत में हॉकी के कई खिलाड़ी ऐसे है जो गुमनामी की जिन्दगी जी रहे है. उनके आगे पीछे कोई नहीं है जो उनका पोषण कर सके. ऐसे में ना सरकार उनकी तरफ ध्यान देती है ना उनकी कोई आर्थिक सहायता करती है. ऐसे में फरीदकोट का ही एक हॉकी खिलाड़ी है जो 9 बार राष्ट्रीय टीम के लिए खेला और दो बार भारतीय हॉकी टीम का सदस्य रहा फिर भी उसे की तवज्जो नहीं मिली है. हम बात करें पंजाब में जन्में परमजीत सिंह की जिन्होंने शानदार हॉकी खेल सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया लेकिन फिर गुमनामी की जिन्दगी जी रहे हैं.
पंजाब के परमजीत सिंह को नहीं मिल रही सरकारी नौकरी
परमजीत सिंह की बात करें तो उनकी प्राथमिक शिक्षा फरीदकोट में हुई थी उसके साथ ही उन्होंने हॉकी में रूचि लेना शुरू कर दिया था. खिलाड़ियों को खेलते देख उनमें भी रूचि उत्पन्न हुई और वह मैदान से जुड़ गए. वहीं हॉकी कोच बलजिंदर सिंह ने उन्हें हॉकी की बारीकियां सिखाई और उनके हाथ में हॉकी थमा दी थी.
इसके बाद परमजीत हॉकी के शानदार खिलाड़ी के तौर पर उभर कर सामने आए थे. उनका चयन जूनियर और सीनियर खेलों के लिए हुआ था. उन्होंने टीम में रहते हुए पांच बार पदक जीता था. वहीं इसके साथ ही उन्होंने पंजाब पुलिस और बिजली बोर्ड में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन भी किया था. लेकिन वह इस प्रतिभा को आगे नहीं बढ़ा सके. वहीं दोनों ही विभाग में उनकी नौकरी को नियमित नहीं किया गया था.
वहीं एशिया कप में भी उनका चयन हुआ था लेकिन किन्ही कारणों से यह टूर्नामेंट नहीं हो सका था और वह इस टूर्नामेंट में नहीं खेल सके थे. यही नहीं परमजीत ने सरकार से तो बार-बार गुहार लगाई थी. लेकिन उन्हें किसी प्रकार की सरकारी मदद नहीं मिल सकी थी. उन्ही हालत काफी दयनीय है इसलिए सरकार को उनपर ध्यान देना जरूरी है जिससे की वह अपने खान-पान का ध्यान दे सके और अपनी जरूरत को पूरा कर सके.
परमजीत जैसे भारत में कई खिलाड़ी है जो तंगहाली की जिन्दगी जी रहे है. हमारी यही आशा है कि जल्द ही सरकार इनपर ध्यान दे और वह अपना जीवनयापन अच्छे से कर सके.