मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर दो ऐसे गांव है जहां एक में हिन्दू तो दूसरे में मुस्लिमों की बड़ी संख्या है. दोनों गांवों ने खेल के जरिए गंगा-जमनी तहजीब को कायम रखा है. दोनों गांवों ने नई पीढ़ियों को नशे से दूर रखकर उन्हें सेहतमंद रखने का कदम उठाया है. मुस्लिम बाहुल्य रांकई गांव और हिन्दू बाहुल्य पिपरिया और रातिकरार गांव समरसता बनाने और नौजवानों को नशे से दूर रखने के लिए उन्हें कबड्डी से जोड़ा जा रहा है.
नरसिंहपुर में दो समुदाई में होता है कबड्डी मुकाबला
इन सभी गांवों में कबड्डी किसी राष्ट्रीय खेल से कम नहीं है. जुनून ऐसा है कि करीब नौ साल पहले शुरू हुआ यह आयोजन मिटटी के मैदान से होता हुआ अब मैट पर आ चुका है. आज राज्य स्तरीय की टीमें भी यहाँ खेलने आती है और इस गांव में कई प्रसिद्द खिलाड़ी अपना प्रदर्शन दिखाते आते हैं.
तीन दिवसीय इस आयोजन का ख़ास उद्देश्य है. सभी गांव के लोग आपस में एकजुट रहें और सामजिक समरसता का संदेश देते रहें. वहीं युवा पीढ़ी क स्वास्थ्य और खेल से जोड़कर बुराइयों से बचाना है. कई गांवों के खिलाड़ी और बुजुर्ग इस आयोजन में अपना पूरा सहयोग देते हैं. इसी वजह से प्रेम और सद्भाव के साथ सामाजिक समरसता का संदेश देता ये आयोजन दिन पर दिन बहुत प्रसिद्द होता जा रहा है. ग्रामीण परिवेश में प्रो कबड्डी जैसी सुविधाएं, दुधिया रौशनी में मैट पर कबड्डी का खुमार और ठण्ड के बावजूद खेल प्रेमियों से खचाखच भरा ग्राउंड इस खेल में चार चाँद लगा देते हैं.
वहीं दूसरी ओर खिलाड़ियों का कहना है कि यहां के दर्शक जबरदस्त हैं. और वे हर खिलाड़ी का मनोबल बढ़ाते है. साथ ही यहां हर तरीके की सुविधा होने की वजह से किसी भी प्रकार की असुविधा अनुभव नहीं होती है. बता दें यह आयोजन इतना प्रसिद्द हो चुका है कि इसमें राज्य के कोने-कोने से खिलाड़ी भाग लेने आते हैं. उन्हें यहां की सुविधाएं भी अच्छी लगती है. इस खेल में मातलपुर, जबलपुर, भोपाल के आसपास के इलाके की टीमें हिस्सा लेती है.