इन दिनों भारत में हॉकी को लेकर अलग ही क्रेज है. आने वाले दिनों में भारत के उड़ीसा में पुरुष हॉकी विश्वकप का आयोजन होने वाले है. जहां एक तरफ हॉकी का उत्सव होने वाला है वहीं दूसरी ओर दिल्ली का सबसे अच्छा हॉकी स्टेडियम बदहाली की हालत में है. हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के नाम पर बने नेशनल स्टेडियम का कही अता-पता नहीं रहा है. इंटरनेशनल स्टेडियम को कभी किसी समय में भारतीय हॉकी का मंदिर कहा जाता था लेकिन एक दशक से यहां कोई इंटरनेशनल मैच नहीं हुआ है.
नेशनल स्टेडियम की नहीं हो रही सार-सम्भाल
इसके बाद इसी मैदान पर साल 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराया था. इस मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आठ गोल दागे थे. वहीं आखिरी बार इस मैदान पर 2014 में हीरो विश्व लीग का फाइनल मुकाबला खेला गया था. इस मैदान में तमाम सुविधाएं मौजूद है. यहां पर एक मुख्य पिच, दो अभ्यास पिच और नीली एस्ट्रो टर्फ भी मौजूद हैं. साथ ही इस मैदान में 16200 दर्शकों के बैठने की क्षमता है. इसके बाद भी इस मैदान में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
पहले के भारतीय हॉकी प्रशासन के कमजोर रवैये के चलते इस मैदान पर कोई ध्यान नहीं दिया गया जिसके चलते इसकी यह हालत हुई है. वहीं महिला हॉकी टीम के पूर्व कोच अजय कुंर बंसल का मानना है कि हॉकी के लिए उड़ीसा का योगदान काफी सराहनीय है लेकिन दूसरो केन्द्रों पर भी इंटरनेशनल मैच होने ही चाहिए.
अजय बंसल ने आगे कहा कि, ‘नेशनल स्टेडियम का आकर्षण अलग ही है. मैं 2010 विश्वकप के दौरान यहां अधिकारी था और देशभर से लोग यहां मैच देखने आए थे. लेकिन पिछले 10 साल में तो पूरी तरह से इसकी उपेक्षा हुई है.’