व्यक्ति में जोश और जूनून हो तो वह अनहोनी को भी होनी कर सकत है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है नीदरलैंड के हॉकी खिलाड़ी डेनिस वार्मरडम ने जिन्होंने सबकुछ खोने के बाद फिर से वापसी की और शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं. पांच साल पहले डेनिस को डॉक्टर्स ने कभी हॉकी नहीं खेलने की सलाह दी थी. दो साल से ज्यादा समय तक उन्हें दाएं हाथ में दर्द रहा था. उन्होंने कई डॉक्टर्स को दिखाया लेकिन हल कुछ नहीं निकला था. कई टेस्ट करवाने के बाद पता चला कि उन्हें मसल कैंसर हैं.
डॉक्टर्स ने किया था डेनिस वार्मरडम को खेलने से मना
डॉक्टर्स ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी बीमारी जानलेवा नहीं है लेकिन इसका सिर्फ एक ही इलाज है कि उन्हें अपना हाथ गंवाना पड़ेगा. डेनिस ने दूसरे डॉक्टर से सलाह ली जिन्होंने एक और सर्जरी बताई थी. इस सर्जरी के सफल होने के चांस सिर्फ एक परसेंट ही थे.कैंसर के इलाज से पहले डेनिस एक बार फिर हॉकी खेलने उतरे यह सोचकर की शायद यह मेरा आखिरी मौका हो. इस मैच में सभी खिलाड़ियों ने वार्मअप के दौरान 13 नम्बर की जर्सी पहनी और उन्हें कंधे पर उठाया था. इसके बाद उन्होंने सर्जरी करवाई लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें बताया कि वह अब दोबारा कभी हॉकी नहीं खेल सकेंगे.
सर्जरी के बाद जब उन्हें होश आया तो उन्होए हाथ को हिलाया और पानी का गिलास पकड़कर देखा तो वो इसमें कामयाब रहे थे. इसी से उन्हें उम्मीद मिली की वह फिर से हॉकी मैदान में लौट सकेंगे. डेनिस ने इसके बाद देर नहीं की और चार महीने बाद ही हॉकी स्टिक को अपने हाथ में थाम लिया था. एक साल बाद उन्होंने अपने क्लब के लिए पहला मैच खेला था. इतना ही नहीं उन्होंने ओलम्पिक में हिस्सा भी लिया था. इसके बाद वह लीग में भी खेलें और टीम की तरफ से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी भी बने थे.
वहीं वह मौजूदा विश्वकप में रिज़र्व प्लेयर की भूमिका में है लेकिन उन्हें उम्मीद है वह टूर्नामेंट में एक बार फिर मैदान में खेलेंगे. उनके इस जोश और जूनून देखकर हर कोई चौंक गया है. और उनकी कहानी काफी प्रेरणादायी है.