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मध्यप्रदेश के मुरैना में हॉकी के अलख जगी है. इसके लिए खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है. इसके साथ ही बालिकाओं को भी इसमें आगे बढ़ाया जा रहा है. यहां के कोच ने बेटियों के माता-पिता से कहा और विश्वास दिलाया कि उनके बेटियाँ हॉकी में जाकर अच्छा नाम कमाएंगी. वहीं ऐसे में एक खिलाड़ी है दिव्यांशी जो काफी साल पहले यहाँ ट्रेनिंग लेने आई थी.
दिव्यांशी ने बढ़ाया नाम, ट्रेनर बन सीखा रही हॉकी
आठ साल पहले दिव्यांशी यहाँ खेल सीखने आई थी. लेकिन आज वहीं दिव्यांशी बघेल हॉकी फीडर सेंटर कि कोच के पद पर आसीन हो गई है. बता दें मुरैना में फीडर सेंटर की शुरुआत साल 2010 पर हुई थी. लेकिन तब तक भी बेटियों को खेलने की अनुमति नहीं मिली थी. लेकिन साल 2015 में कोच अविनाश यहां पर आए और उन्होंने बेटियों के माता-पिता से बात की थी. और उन्हें समझाया था इसके बाद सेंटर में बालिकाओं का खेलना प्रारम्भ हुआ था. तब उन खिलाड़ियों में से एक दिव्यांशी भी इसमें शामिल हुई थी.
इसके बाद बालिकाओं कि टीम बनी थी जिसमें दिव्यांशी को भी शामिल किया गया था. उसके बाद मुरैना टीम ने खेलते हुए चार स्टेट तौनामेंट और एक नेशनल प्रतियोगिता जीती थी. बता दें दिव्यांशी ने शिक्षा में अच्छा नाम किया है. उन्होंने कोच का एक साल का डिप्लोमा किया हुआ है. उसके बाद उन्होंने फीडर सेंटर में अपनी नियुक्ति को प्राप्त किया है. दिव्यांशी अब उसी फीडर सेंटर में भाग ले रही है जिसमें वह कभी सीखने आती थी. ऐसे में वह अभी कुछ 70 खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे रही है.
कुछ साल पहले तक यहां पर लड़कियों को खेलने की अनुमति नहीं मिलती थी. लेकिन जबसे यहां पर हॉकी फीडर सेंटर की शुरुआत की गई है तब से बालिकाओं को भी हॉकी खेलने की अनुमति मिली है. इके साथ ही यहाँ के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों को मनाया है कि वह अपनी बेटियों को भी खेलने के लिए भेजे.
