प्रो कबड्डी लीग के शुरू होने से कईं कबड्डी के स्टार प्लेयर की किस्मत बदली है. हर सीजन में ऐसे कईं खिलाड़ी आते है जो छोटे कस्बे या गांव से ताल्लुक रखते है और बहुत ही मेहनत और लगन के साथ इस मुकाम इस मुकाम को पाते है. ऐसे ही इस सीजन भी एक खिलाड़ी है जो महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं जिनका नाम शंकर गडई है जिन्होंने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी भी की और खुद का लक्ष्य सपने पर भी बनाए रखा. ऐसे में आज जानिए शंकर की कहानी जो काफी प्रेरणादायक है.
स्टार प्लेयर के लिए खेत से मेट का सफर
शंकर और उनका परिवार आर्थिक दृष्टि से काफी निम्न है ऐसे में उनका परिवार मजदूरी कर पेट पालता है. माता-पिता गन्ने की कटाई कर परिवार का पेट पालते है तो संकर ने भी इसी काम में हाथ बताना मुनासिब समझा. शंकर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि, ‘मेरे परिवार वाले काफी समय से मजदूरी का ही काम कर रहे हैं इसे अलावा हमारे पास कमाई का कोई दूसरा जरिया नहीं हैं. मैंने सातवीं क्लास से ही कबड्डी का खेल शुरू का दिया था. मैं गांव में ही स्थित कबड्डी की एकाडमी जाने लगा था.’
उन्होंने आगे बताया कि, ‘मैंने काफी समय कबड्डी खेली लेकिन इस जो कमाई होती उससे घर का खर्च चलाना मुश्किल था. तो इसके लिए मैंने परिवार को सहायता देने के लिए मजदूरी करना शुरू कर दिया. मैं पूरे दिन मजदूरी करता और उसके बाद पांच बजे खेत से छुट्टी मिलने के बाद खेल की प्रैक्टिस करने जाता था.’
शंकर के करियर कि बात करें तो उन्होंने महाराष्ट्र के साथ सीनियर नेशनल कबड्डी चैंपियनशिप का फाइनल खेला था. साथ वह टीम के कप्तान भी रह चुके हैं.
नीलामी के बारे में बात करते हुए उन्होएँ बताया कि, ‘प्रो कबड्डी लीग की नीलामी जब चल रही थी तब मैं खेत में काम कर रहा था और मैंने अपना फोन बंद कर रखा था. जब मैंने फ़ोन ऑन किया तब पता चला कि मुझे गुजरात की टीम ने खरीद लिया है. मेरे परिवार के सभी लोग खुश थे.’