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भारतीय हॉकी का इतिहास काफी पुराना है. हॉकी के खेल में ना सिर्फ पुरुषों ने बल्कि महिलाओं ने भी अपनी प्रतिभा दिखाई है. भारतीय महिला हॉकी टीम ने भारतीय खेल का नाम रोशन किया है. इसके साथ ही उन्होंने कई कप आयर प्रतियोगिताएँ जीतकर देश का नाम ऊंचा किया है. बता दें खेल को आगे पहुंचाने में महिलाओं का भी हाथ है. ऐसे में हम आपको ऐसे ही भारतीय टीम कि शानदार महिला खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं. जानिए उन महिला हॉकी खिलाड़ियों के बारे में.
पांच महिला हॉकी खिलाड़ियों के बारे में जानकारी
वन्दना कटारिया
सबसे पहले बात करें फॉरवर्ड खिलाड़ी वन्दना कटारिया कि जिन्होंने भारतीय महिला हॉकी के इतिहास में सबसे ज्यादा मैच खेलें हैं. उन्हने 276 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. और 2013 महिला हॉकी जूनियर विश्व कप में टीम के लिए ज्यादा गोल करने वाली खिलाड़ी भी बनी थीं.
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में रोशनाबाद एक जगह है जहाँ कि महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान वन्दना कटारिया आज काफी प्रसिद्द है. उन्होंने अपनी हॉकी की प्रतिभा से खुद को साबित किया है. और आज वह सभी लड़कियों कि आदर्श बनकर उभरी है. उन्हीं की वजह से हरिद्वार में रहने वाली सभी गाँव और शहरी क्षेत्रों की खिलाड़ियों में हॉकी को लेकर उत्साह जगा है. अधिकतर लड़कियां रोशनाबाद स्टेडियम में रोजाना हॉकी का अभ्यास करती है और लड़कियों का कहना है कि वह भी हॉकी की स्टार खिलाड़ी वन्दना की तरह ही देश और शहर का नाम रोशन करना चाहती हैं.
हरिद्वार रोशनाबाद स्टेडियम वन्दना कटारिया के घर से महज कुछ ही दूर स्थित है. वन्दना भी इसी मैदान में खेलकर नेशनल लेवल तक पहुंची थी और उन्होंने टोक्यो ओलम्पिक में हैट्रिक लगाकर इतिहास रचा था.
सविता पूनिया
दूसरे स्थान पर बात करें तो मौजूद कप्तान सविता पूनिया है जिन्होंने अब तक 255 मैच खेलें हैं. उन्हें आने वाले टूर्नामेंट के लिए हॉकी टीम की कमान भी सौंपी हैं. उन्हें ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है. उन्हें उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.
बता दें साल 2015 में डरबन में सविता ने भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था. इसके बाद से वह शंद्र प्रदर्शन कर टीम के इस मुकाम को प्राप्त कर चुकी है. एक दशक से अधिक के समय में वह शानदार मैच खेलकर टीम को जीत दिलाती नजर आई है.
गांव जोधका से निकली पूनिया ने काफी मेहनत और संघर्ष के साथ यह मुकाम हासिल किया है. उनके पिता महेंद्र सिंह पूनिया को अपनी बेटी पर काफी गर्व है. सविता ने साल 2008 में हॉकी खेलना शुरू किया था. हॉकी के मैदान में गोलकीपर और कप्तान की भूमिका निभाती सविता ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं. इतना ही नहीं टोक्यो ओलम्पिक में वह आठ पेनल्टी कार्नर बचाकर द ग्रेट वॉल के नाम से मशहूर हुई थी.
बता दें 32 वर्षीय सविता ने टीम क जीताने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उनके शानदार प्रदर्शन और करियर की बदौलत ही उन्हें अर्जुन पुरुस्कार से भी नवाजा जा चुका है. सविता ने रियो ओलम्पिक, के साथ-साथ अन्य बड़े टूर्नामेंट में भी भारतीय टीम को पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई है. बता दें नेशंस कप में भी उन्होंने ही कप्तानी की थी. इसके बाद टीम ने पहला कप भी जीता था.
दीप ग्रेस एक्का
वहीं बात करें हॉकी महिला टीम की उपकप्तान दीप ग्रेस एक्का कि उन्होंने 252 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को कांस्य पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्हें भी इस साल अर्जुन पुरुस्कार के लिए चुना गया था. दीप ग्रेस को अर्जुन पुरुस्कार से भी नवाजा जा चुका है.
सुंदरगढ़ जिले के लुल्कीडीही की रहने वाली दीप अभी 28 साल की है. उन्होंने 2011 में ही इंटरनेशनल हॉकी में डेब्यू कर लिया था. इसके अलावा दीप ने रियो ओलम्पिक में भी हिस्सा लिया था. वहीं महिला एशिया कप में कांस्य पदक जीतने वाली टीम की सदस्य भी रह चुकी है. वहीं उनके प्रतिनिधित्व में भारतीय टीम ने एशियन चैंपियंस ट्रॉफी भी जीती थी. इसके बाद 2017 में एशिया कप में उन्होंने जीता था. इसके बाद आने वाले सभी बड़े टूर्नामेंट में उन्होंने टीम में रहते हुए कई पदक हासिल किए थे.
रानी रामपाल
चौथे स्थान पर हैं रानी रामपाल जिन्होंने 250 मैचों में भारत के लिए योगदान दिया है. 2010 में विश्वकप में हिस्सा लेने वालीं रानी सबसे कम उम्र की खिलाड़ी भी थी. उस समय वह सिर्फ 15 साल की थी. फिलहाल वह टीम से बाहर चल रही है और आगामी टूर्नामेंट में भी उन्हें शामिल नहीं किया गया है.
रानी कि बात करें तो उनके घरवाले हॉकी खेलने के लिए राजी नहीं हो रहे थे. लेकिन उन्होंने माता-पिता को कहा कि हॉकी खेलना चाहती हूँ इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि रिश्तेदार और समाज वाले क्या सोचेंगे. रानी रामपाल ने बताया कि उन्होंने अपने गांव में सात साल की उम्र में ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था. उस समय लड़कियों को बाहर आने की अनुमति नहीं थी. छोटे शॉर्ट्स के साथ खेलना तो और कठिन होता था. लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और खेलना जारी रखा था.
बता दें रानी रामपाल ने FIH महिला हॉकी प्रो लीग 2021-22 में बेल्जियम के खिलाफ खेलें के बाद इस साल की शुरुआत में वापसी की थी. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के दौरे से भारतीय टीम में वापसी की थी. हॉकी प्रो लीग में रानी ने 250 वां मैच खेला था. बता दें 28वर्षीय रानी टोक्यो ओलम्पिक के बाद से ही चोट से जूझ रही थी. लेकिन उन्हों मेहनत क्र वापसे से हॉकी में वापसी की है. और रानी को अन्तर्राष्ट्रीय टीम में फिर से लिया गया है.
वर्ष 2009 में आयोजित महिला हॉकी चैम्पियंस चैलेन्ज में रानी रामपाल ने शानदार प्रदर्शन किया था. उसमें इन्होने 7 गोल किये और टॉप स्कोरर पर इनका नाम था. फाइनल में भी रानी ने चार गोल किए और भारत ने बेल्जियम के खिलाफ वो मैच जीत कर टूर्नामेंट जीता था.
रितु रानी
पांचवें स्ठान पर है रितु रानी जो 248 मैचों में भारतीय टीम का हिस्सा रही हैं. वह देश के लिए सबसे कम उम्र की कप्तानों में शामिल है. वह महज 14 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय टीम का हिस्सा बन चुकी थी. उन्होंने साल 2014 में एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का नेतृत्व किया था.