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उत्तरप्रदेश का शहर वीरांगना लक्ष्मी बाई के लिए जाना जाता है. हम बात कर रहे हैं शहर झांसी कि जहां से मेजर ध्यानचंद भी हॉकी के दिग्गज के रूप में निकले हैं. शहर झांसी को यूं तो मराठाओं का शहर कहा जाता है. लेकिन इसका इतिहास भी काफी पुराना है. यह धरती रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगनाओं से सुशोभित हो रही है और इनकी गाथाएं युगों-युगों तक अमर रहेगी. वहीं आधुनिक काल में भी शहर झांसी का नाम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी शान से लिया जाता है. हर क्षेत्र में झांसी ने अपना वर्चस्व स्थापित किया है. ऐसे ही खेल जगत में भी यहां के खिलाड़ियों ने जो मुकाम हासिल किया है.
यूपी के शहर झांसी ने दिए हॉकी के स्टार्स
ऐसे ही हॉकी के खेल में झांसी के खिलाड़ियों ने भारत के सितारे बुलंद किए हैं. सबसे पहले नाम लें तो हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का नाम लिया जाता है. जिन्होंने हॉकी में भारत को बुलंदियों पर पहुंचाया है. उन्हीं की बदौलत भारतीय हॉकी को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली थी. इतना ही नहीं इसके बाद उनके बेटे अशोक ध्यानचंद ने भी उनके नाम को आगे बढ़ाया था. और पहला विश्वकप जीताने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी.
इसके साथ ही शहर के अब्दुल, सुबोध, नेहा सिंह, जमशेर खान, तुषार खांडेकर, केपी यादव, रिषभ आनंद, सौरभ आनंद, अब्दुल अहद, आसिफ अली ने भी भारतीय हॉकी में अपना परचम लहराया था. शहर के ही अब्दुल हमीद ने एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम ऊंचा किया था.
बता दें ध्यानचंद की जितनी बात की जाए कम है उनके नाम से ही हॉकी में भारत ने जगह बनाई है. और आज कई रिकॉर्ड भारत के नाम है जो कई सालों से टूटे नहीं है. उन्हें भारत ने पद्मभूषण से भी नवाजा है. इसके साथ ही उनके बेटे अशोक ध्यानचंद भी खेल से सभी को प्रभावित कर चुके हैं. उन्हें भी साल 1974 में अर्जुन पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. भारत में हॉकी के विकास के लिए ध्यानचंद ने कई कदम उठाए हैं. साथ ही उन्होंने उस समय बिना संसाधनों के भी युवाओं को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित किया था.
खास बात यह है कि जिस हॉकी से ध्यानचंद सबसे ज्यादा प्यार करते थे. और जिसे उन्होंने खूब गोल दागे वह आज भी सोहनलाल शर्मा ने अपने पास महफूज रखी हुई थी. इतना ही नहीं यही स्टिक अभी बॉलीवुड की फिल्म में भी नजर आने वाली है जो एक बहुत गर्व की बात है. पुराने समय के किस्सों को याद करते हुए सोहनलाल शर्मा के बेटे अरुण शर्मा बताते है कि जब तक भी ध्यानचंद मेरठ रहे वह रोज सोहनलाल की दुकान पर बैठा करते थे.
ध्यानचंद वो खिलाड़ी है जिनके जादूई खेल का हर कोई मुरीद
यहाँ तक कि जर्मनी का तानाशाह हिटलर भी मेजर ध्यानचंद के खेल का मुरीद था. जब भी हॉकी के बात होती है तो मेजर ध्यानचंद का नाम हमेशा लिया जाता है. हॉकी और मेजर ध्यानचंद दोनों एक दूसरे के पूरक है. साल 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में फाइनल मैच का आनंद ले रहे जर्मनी के चांसलर एडोल्फ हिटलर ध्यानचंद का खेल देखकर इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने प्रलोभन देकर ध्यानचंद को अपनी सेना में भर्ती करना चाहा. किन्तु इस सच्चे देश भक्त सिपाही को हिटलर का लालच डिगा नहीं सका.
ध्यानचंद हॉकी के जादूगर के रूप में प्रसिद्द हो गए. हॉकी में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की महानता का अंदाज
इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वह हॉकी खेलते थे तो मानो ऐसा लगता था कि गेंद उनके स्टिक से चिपक जाती थी. ध्यानचंद अपने शुरूआती दिनों में शौकिया हॉकी खेला करते थे. 1922 में सेना की नौकरी में आने के बाद 1926 से 1948 तक अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. उन्होंने चार सौ से ज्यादा गोल दागकर अटूट कीर्तिमान हासिल किया. राष्ट्रीय खेल के इस खिलाड़ी ने कई दशक पहले जो रिकॉर्ड बनाए वे अब भी कोइ नहीं तोड़ पाया है.
कई रिकार्ड्स जो नहीं टूट पाए
मेजर ध्यानचंद के नाम ऐसे कई रिकॉर्ड है जिन्हें तोड़ पाना आज भी कईं हॉकी प्लेयर्स के लिए सिर्फ एक सपना रहा है. वो जब हॉकी खेलते थे तो ऐसा लगता था मानों कोई आक्रमणकारी स्टिक लेकर आ रहा हो. वहीं मैदान के बाहर ध्यानचंद बेहद ही कोमल और शांत स्वभाव वाले थे.
जर्मनी के खिलाफ एक मैच में भारत का पलड़ा भारी था बिना जूते के खेले थे जर्मनी से मुकाबला तभी जर्मनी के एक खिलाड़ी ने ध्यानचंद को जोरदार धक्का मारा जिससे उनके दांत तक टूट गए थे. फिर भी उन्होंने अपने दर्द की परवाह किए बिना खेल खेलते रहे. उस मैच के दौरान इतना ही नहीं उन्होंने फिसलने के डर से जूते भी उतार दिए थे और उनका साथ देते हुए उनके भाई रूप सिंह ने भी जूते उतार दिए थे ताकि फिसल नहीं सके.
इसके बाद रूप सिंह ने और ध्यानचंद ने एक के बाद एक गोल कर भारत को जर्मनी के ऊपर जीत दर्ज कराई थी. मेजर ध्यानचंद हॉकी के क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम है जिसे भूल पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए मुश्किल ही है. बात करें भारत के हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर खिलाड़ी ध्यानचंद की तो वह किसी पहचान के मोहताज नहीं है. उन्हें भारत में हर कोई हॉकी के जादूगर के नाम से जानता है. विश्व में सबसे ज्यादा हॉकी में गोल करने वाले खिलाड़ी ध्यानचंद तीन ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीते हैं. साथ हे उन्होंने इंटरनेशनल मैच में 570 गोल भी अपने नाम किए हैं.
मेजर ध्यानचंद के नाम से है शहर में स्टेडियम
झांसी के खिलाड़ियों के लिए यह एक बड़ी सौगात है कि यहाँ पर खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम है. इसका नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर ही रखा गया है. जिसमें वह रात में भी अभ्यास कर सकते हैं. यहां रात के मैचों के आयोजन के लिए फ्लड लाइट लगाई गई है. जिसके बाद हॉकी खिलाड़ी रात में भी अभ्यास कर सकेंगे. इस मैच के आयोजन से फ्लड लाइट का भी औपचारिक रूप से लोकार्पण किया जाएगा. मैच शाम 6 बजे से शुरू होगा. ख़ास बात यह है कि इस मैच के लिए एंट्री भी फ्री रखी गई है.
ध्यानचंद स्टेडियम में झांसी स्मार्ट सिटी ने एस्ट्रोटर्फ के चारों ओर अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ के मानक के अनुसार ही फ्लड लाइट लगाई है. ध्यानचंद स्टेडियम के इस मैच पे दूधिया रौशनी बिखेरनी के लिए चार बड़े पोल प् 1500 वाट की 140 लाइट लगाई गई है. इस वजह से अब इस स्टेडियम में दिन-रात वाले मैच भी कराए जा सकेंगे. झांसी के हॉकी खिलाड़ियों इ साथ ही खेल प्रेमी भी हॉकी के मैचों का अलग अंदाज में आनंद ले सकेंगे.