भारत में ऑनलाइन गेमिंग से समाज के कुछ हिस्सों को कुछ फायाद मिल रहा है तो वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन गेमिंग की लत से युवाओं में बहुत सी समस्याएं देखने को मिल रहीं है।
हिंसक गेम्स खेलने को लेकर उनके स्वास्थ्य और मानसिक सोच पर भी इसका गहरा नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है इसके लेकर चिंता लगभग सभी माता-पिता की समस्या बन गई है।
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मद्रास HC ने स्वंय से शुरु की जनहीत याचिका
ऑनलाइन गेमिंग को लेकर मद्रास मद्रास HC ने “हिंसक ऑनलाइन गेम” पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग करते हुए स्वंय से एक जनहित याचिका शुरू की।
इस मामले में उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से गूगल और यूट्यूब से जवाब मांग रहा है और स्कूल में में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा है।
उच्च न्यायालय का कहना है कि इस तरह के वीडियो जो खिलाड़ियों को यह सिखाते हैं कि वीपीएन लगा कर किस तरह फ्री फायर जैसे गेम जो भारत में बैन हैं उन पर कड़े नियम जारी करना चाहिए।
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सभी वर्ग के लोगों पर इस गेम का बुरा प्रभाव
मद्रास HC के न्यायमूर्ति ने बताया कि छात्रों, पुरुषों और महिलाओं द्वारा ऑनलाइन गेम की लत से उनके खराब हो रहे स्वास्थ्य आज लगभग सभी माता-पिता की एक बड़ी चिंता” बन गई है. हम चाहते हैं कि भारत में हिंसक खेलों पर प्रतिबंध लगाया जाए।
साथ ही न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि वीडियो गेम की लत से प्रभावित लोग गेम में खरीदारी के लिए पैसे चुराते हैं और वीडियो गेम की लत के कारण आत्महत्या के भी मामले सामने आए हैं।
सिर्फ इतना ही नही खिलाड़ियों के बीच इनकी जानकारी गुप्त रखने की कोई सुरक्षा नहीं है इसे लेकर कोई भी असामाजिक तत्व खिलाड़ी के निजी खातों तक पहुंच प्राप्त करते हैं और व्यक्तिगत डेटा चुराते हैं।
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किन गेम्स पर होगी सरकार की नजर
न्यायाधीशों की बेंच ने नशे की लत वाले खेलों के उदाहरण के रूप में सबवे सर्फर्स और फ्री फायर का हवाला दिया और कहा कि इससे युवा पीढ़ी स्वास्थ्य समस्याओं, चिंता से प्रभावित होती है।
हालांकि, भारत सरकार द्वारा पिछले दो वर्षों में PUBG मोबाइल और फ्री फायर सहित कई खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और फिर भी उन खेलों को खेलने के तरीके हैं अभी मौजूद हैं उन तरीकों को लेकर उच्च न्यायालय ने सरकार से जबाव मांगा।
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पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं से किया अनुरोध
न्यायाधीशों को कहना है कि युवा ऑनलाइन गेम खेलते हैं और सोशल मीडिया पर बहुत अधिक समय बिताते हैं और इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है.
उन्होंने पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं से युवाओं को जागरूक करने का अनुरोध किया और माता-पिता से अपने बच्चों की ऑनलाइन खेल की गतिविधि की निगरानी करने का भी अनुरोध किया।
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मद्रास HC बेंच ने सरकार मांगी रिपोर्ट
केंद्र और राज्य सरकारों से यह रिपोर्ट करने का अनुरोध किया गया है कि प्रतिबंध के बावजूद प्रतिबंधित खेलों की अनुमति कैसे दी गई।
YouTube पर इस तरह की वीडियो पर भी नकेल कसने को कहा जो खिलाड़ियों को सक्रिय रूप से इन प्रतिबंधित खेलों तक पहुंचने का तरीका सिखाता है।
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