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मेजर ध्यानचंद जो हॉकी के जादूगर भी कहे जाते हैं उन्होंने अपना नाम दुनिया भर में बनाया है. ऐसे में अरब के देश कतर में भी उनका नाम गूँज रहा है. ऐसे में कतर में एक खेल संग्राहलय का निर्माण किया गया है. जिसमें दुनिया भर के खेल के हस्तियों के बारे में जानकारी दी गई है और साथ ही उन दिग्गजों की यादगार चीजों को सम्भाल कर रखा गया है. इसके साथ ही भारतीय खिलाड़ियों को भी इस संग्राहलय में प्रमुख स्थान मिला है.
कतर के संग्राहलय में है मेजर ध्यानचंद की हॉकी
बता दें इस संग्राहलय में करीब 100 से अधिक खिलाड़ियों को सजाकर रखा गया है. यहाँ पर हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टिक को भी यहाँ प्रदर्शित किया गया है. इसके चलते ही युवाओं के लिए यह काफी प्रेरणादायक रहा है. इस संग्राहलय में भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी ख़ास जगह बनाई है.
ध्यानचंद वो खिलाड़ी है जिनके जादूई खेल का हर कोई मुरीद था. यहाँ तक कि जर्मनी का तानाशाह हिटलर भी मेजर ध्यानचंद के खेल का मुरीद था. जब भी हॉकी के बात होती है तो मेजर ध्यानचंद का नाम हमेशा लिया जाता है. हॉकी और मेजर ध्यानचंद दोनों एक दूसरे के पूरक है. साल 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में फाइनल मैच का आनंद ले रहे जर्मनी के चांसलर एडोल्फ हिटलर ध्यानचंद का खेल देखकर इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने प्रलोभन देकर ध्यानचंद को अपनी सेना में भर्ती करना चाहा.
उसी समय से ध्यानचंद हॉकी के जादूगर के रूप में प्रसिद्द हो गए. हॉकी में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की महानता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वह हॉकी खेलते थे तो मानो ऐसा लगता था कि गेंद उनके स्टिक से चिपक जाती थी.
