अगर आप से पूछा जाए कि इस सदी की सबसे महान ऑलराउंडर कौन है तो आप किसका नाम लेंगे? शायद ही आपका ध्यान सबसे पहले जैक्स कैलिस के ऊपर जाए। कैलिस ने अपने टेस्ट करियर में 55 की औसत से साढ़े बारह हजार रन बनाए। उनकी औसत सचिन से बेहतर है।
भारत के खिलाफ तो कैलिस ने 70 की औसत से 1700 के ऊपर रन बनाए जिसमें 7 शतक और पांच अर्ध शतक शामिल हैं। वहीं अगर गेंदबाजी की बात करें तो इस बेहतरीन ऑलराउंडर ने अपने टेस्ट करियर में 32 की औसत से 292 विकेट चटकाए जो कि कई अच्छे गेंदबाजों से भी बेहतर आंकड़े हैं।
साथ ही साथ कैलिस ने ओडीआई में भी 44 की औसत से 12000 के ऊपर रन बनाएं और 278 विकेट लिए हैं। तो इसे कहते हैं एक शानदार ऑलराउंडर होना। कैलिस ने सभी अच्छे क्रिकेट देशों के खिलाफ उनके घर में जाकर सेंचुरी लगाई और वह एक बेहतरीन ऑलराउंडर थे क्योंकि उनके अंदर खेल को समझने की जो नेचुरल टेलेंट था वह लाजवाब था।
काफी अनुशासन के हिसाब से वह अपना खेल खेलते थे और गेंदबाजी में बात करें तो वह सफल इसलिए थे क्योंकि उन्हें पता था कि एक परिस्थिति की क्या मांग है। उनके पास गेंदबाजी कला बहुत ही लाजवाब थी।
जब उन्होंने 1995 में साउथ अफ्रीका के लिए डेब्यू किया तो 2001 तक तो उनकी बल्लेबाजी औसत कुछ खास नहीं थी। 40 तक की औसत तो अधिकतम गए थे और 3032 रन बना रहे थे। लेकिन 2001 से कहेंगे कि उनके करियर में एक बदलाव होगा।
साल 2001 में उन्होंने 70 की औसत से 13 मैचों में 1100 के ऊपर रन बनाए। उसके बाद साल 2004 उनके लिए सबसे अच्छा साल था बैटिंग के पर्सपेक्टिव से जब उन्होंने मात्र 9 मैचों में 86 के ऊपर की औसत से 1200 के ऊपर रन बनाए।
जैक्स कैलिस ने अपने टेस्ट करियर में 23 बार प्लेयर ऑफ द मैच अवार्ड जीता। वो बहुत ही प्रभावशाली खिलाड़ी थे क्योंकि बल्ले से, गेंद से और अपनी शानदार फील्डिंग से अव्वल दर्जे का योगदान देने में सक्षम थे। एक तरह से कैलिस काफी लंबे समय के लिए साउथ अफ्रीका के लिए सबसे प्रभावशाली खिलाड़ी थे।
उनके टेस्ट करियर में 13289 रन हैं जब तीसरे नम्बर पर सचिन तेंदुलकर और कुमार संगकारा के बाद सबसे ज्यादा हैं। साथ ही साथ उन्होंने अपने टेस्ट करियर में 103 पचास जड़े जोकि उन्हें इस लिस्ट में नंबर दो पर रखता है। उनके नाम ऐसे कई रिकॉर्ड हैं लेकिन एक ऑलराउंडर के लिए रिकॉर्ड से ज्यादा गेम में किस तरह का प्रभाव डालता है वह जरूरी होता है।
टेस्ट करियर में 13000 के ऊपर 292 विकेट और साथ ही साथ 200 कैचेज लपकना जो उनको नंबर दो पर रखता है तो यह बताता है कि वह कितने मिस थे साउथ अफ्रीका की टीम का। उस समय साउथ अफ्रीका की टीम अपने गोल्डन एज में थी कि उनके पास बहुत ही शानदार बल्लेबाज थे।
उसके बाद एक ऐसा खिलाड़ी होना जो हर रूप से एक में शानदार योगदान दे सकता है और यह भी एक बात है ना कि उनको टीम में एक ऐसा वातावरण मिला कि वह अपने खेल को खुलकर खेल पाए और सबके साथ तालमेल बनाए रख पाए।