F1 History in Hindi: फॉर्मूला वन। आज इस खेल से करोड़ों लोग परिचित हैं। मोटर स्पोर्ट की दुनिया में एफ1 अपनी एक अलग पहचान बना ली है। दुनिया आगे बढ़ रही थी। इसके सार रेसिंग भी आगे बढ़ रही थी। विश्व युद्ध लड़े जा रहे थे। लेकिन रेसिं नहीं रुकी। ड्राइवर आगे बढ़ते गए। गाड़ी चलाते गए और मोटरस्पोर्ट को एक नए शिखर पर ले गए। फॉर्मूला वन रेसिंग का इतिहास (History Of Formula One) आज हम आपको बताने जा रहे हैं। कैसे रेसिंग की दुनिया अस्तित्व में आई और आज किस मुकाम तक पहुंच गई। इन सब की बात फॉर्मूला वन हिस्ट्री में होगी।
वो साल था साल 1884 का। जब फ्रांस में मोटर रेसिंग अपना आकार लेना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे रेसिंग की दुनिया बड़ी हो रही थी। धीरे-धीरे ये इतना विकसित हो गई कि FIA विश्व चैंपियनशिप का रूप ले लिया। आइए नजर डालते हैं कि कैसे एफआईए के अस्तित्व में आने से पहले फॉर्मूला वन रेसिंग अपना दम खम दिखा रही थी
इतिहास की पहली F1 रेस । F1 History in Hindi
1884 के आसपास फ्रांस से शुरू हुए मोटरस्पोर्ट का खेल न्यूयॉर्क तक पहुंच गया था। 1900 ई. में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क हेराल्ड और हेराल्ड ट्रिब्यून समाचार पत्रों के मालिक जेम्स गॉर्डन बेनेट जूनियर द्वारा रेस का आयोजन किया गया। इस घटना ने Europe में गॉर्डन बेनेट कप की स्थापना की थी। इस दौड़ ने दुनियाभर के अलग-अलग देशों के रेसर्स का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। रेस के लिए एक टीम अधिकतम 3 कार का Registration कर सकता था।
Gordon Bennett के बाद रेसिंग की दुनिया में एक से एक बड़े Businessman कूदने लगे। 1904 में करोड़पति विलियम किसम वेंडरबिल्ट II USA में वेंडरबिल्ट कप लॉन्च किया। इसके तहत New York के लॉन्ग आईलैंड में रेस आयोजित की गई।
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अमेरिका के करोड़पतियों द्वारा कराई जा रही रेसिंग Competetion से प्रभावित होकर एक Francis Builder के लिए काम करने वाले स्विस व्यक्ति लुई शेवरले (Lewis Shervale) ने संयुक्त United State Of America जाने का फैसला किया। 1901 से वह USA की Motor Race के अग्रणी व्यक्ति बन गए। वह General Motors के वाहनों को Design करने पर उनका पूरा ध्यान लगने लगा।
First Grand Prix History । पहले ग्रैंड प्रिक्स का इतिहास
रेसिंग की दुनिया कुछ ही सालों में बहुत बड़ी हो चुकी थी। यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में मोटरस्पोर्ट पॉपुलर हो चुका था। Automobile Club of France ने साल 1906 में ग्रैंड प्रिक्स नाम की पहली रेस का आयोजन किया। यह प्रतियोगिता जून महीने में 2 दिन तक चली थी। इसका आयोजन लै मेंस के सर्किट में हुआ था। इस CIrcuit की लंबाई 105 किलोमीटर थी। पहली Grand Prix में 32 रेसिंग ड्राइवरों ने भाग लिया था। यानी 16 कार बनाने वाली कंपनियां भार ले रही थी। हर वाहन कंपनी के दो ड्राइवर रेसिंग मैदान में थे। इस रेस को Renault के ड्राइवर हंगेरियन फेरेंक स्जिज ने जीती थी।
हर देश में आयोजित होने वाली रेसिंग चैंपियनशिप के अलग-अलग नियम कायदे और कानून थे। जो भी टीमें रेस आयोजन में भाग लेती थीं वो अपना ड्राइवर और मोटर मैकेनिक रखती थीं। रेनॉल्ट ने पहली ग्रैंड प्रिक्स जीतकर रेसिंग की दुनिया को कहीं न कहीं और बड़ा बना दिया था।
Circuit लेने लगे आकार
F1 History in Hindi: 1906 तक हुई अधिकांश रेस सड़क पर ही होती थी। लेकिन 1906 के बाद धीरे-धीरे Formula 1 Circuit अस्तित्व में आने लगे। एफ 1 ट्रैक बनने से रोड़ पर रेसिंग प्रतियोगिता कराना बंद कर दिया गया। साल 1906 में है Le Mains में हुए ग्रैंड प्रिक्स ने दुनियाभर के देशों को फॉर्मूला वन रेस के लिए सर्किट बनाने की दिशा में सोचने को मजबूर किया।
इंग्लैंड का ब्रुकलैंड्स के इंडियानापोलिस मोटर स्पीडवे सर्किट का काम साल 2007 में पूरा हुआ। इस Circuit पर साल 1909 में पहली बार रेस का आयोजन किया गया। साल 1922 में इटली में ऑटोड्रोमो नाजियोनी मोंज़ा सर्किट अस्तित्व में आया। इटली में भी 1922 में ही Monza Grand Prix रेस का आयोजन किया गया। फ्रांस के बाद ग्रैंड प्रिक्स का आयोजन करने वाला इटली दूसरा देश बन गया था। Belgian में और Spain में भी मोटरस्पोर्ट का नाम फैल गया। यहां भी कई प्रकार के रेस कराई जाने लगी।
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पहले विश्व युद्ध से पहले अलग-अलग देशों में हुआ ग्रैंड प्रिक्स ने एक दूसरे से नियम कायदे और कानून Share करना शुरू कर दिया। जैसे गाड़ी में इंजन कैसे होना चाहिए। गाड़ी का आकार कैसे होना चाहिए। साल 1924 में एसोसिएशन इंटरनेशनेल डेस ऑटोमोबाइल क्लब्स रेकोनस का गठन किया गया। इसका काम अनौपचारिक रूप से ग्रांड प्रिक्स रेसिंग को विनियमित करना था। आगे चलकर 1928 में इसे ‘फॉर्मूला लिब्रे’ नाम दिया गया। 1927 से 1934 के बीच Grand Prix के नाम से आयोजित की जाने वाली रेसों में इजाफा हुआ। हालांकि,इन रेसों में कई प्रकार की घटनाएं भी होती थी। साल 1927 में 5 , 1929 में 9 और 1934 में 18 घटनाओं हुी।
द्वितीय विश्व युद्ध और फॉर्मूला वन
साल 1925 में मोटरस्पोर्ट की दुनिया की first world championship race आयोजित की गई थी। इसमें इंडियानापोलिस 500, यूरोप, फ्रांस और इटली के ग्रैंड प्रिक्स को शामिल किया गया था। विशेष रूप से यह CHampionship वाहन निर्माताओं की थी। यानी ड्राइवर भले ही रेस जिताता लेकिन पुरस्कार वाहन निर्माता को दिया जाता था। इसके बाद कई इकाइयों के बीच समझौता हुआ है। यूरोपीय ड्राइवर चैंपियनशिप करीब 10 सालों तक चली। यह प्रथम विश्व युद्ध से एक साल पहले तक आयोजित हुई थी।
साल 1933 के Monaco GP में पहली दफा क्रम क्वालीफाइंग समय के आधार पर तय किया गया था। इसके साथ ही भाग लेने वाली टीमों को उनके राष्ट्रीय रंगों से रंगा गया था। इसके बाद साल 1934 में जर्मनी ने अपनी रेसिंग कार का वजन कम करने के लिए कार का कलर बदला। 1934 से 1939 के बीच जर्मनी के ऑटो यूनियन और मर्सिडीज का रेसिंग दुनिया में जलवा कायम रहा।
F1 History in Hindi। फॉर्मूला वन का आगमन
दूसरा विश्व युद्ध समाप्त हो गया। अब तक पूरी दुनिया में सिर्फ चार ग्रैंड प्रिक्स का ही आयोजन होता था। World Championship के Rules पहले ही बना दिए गए थे। साल 1947 में AIACR का नाम बदलकर फेडरेशन इंटरनेशनेल डी ल ऑटोमोबाइल (FIA) कर दिया गया। साल 1949 में रेसिंग के दिग्गजों का जमावड़ा लगा और निश्चित हुआ कि साल 1950 में फॉर्मूला वन ड्राइवरों के लिए ग्रांड प्रिक्स विश्व चैम्पियनशिप का आयोजन किया जाएगा।
पहली Championship Race 13 मई 1940 को इंग्लैंड के सिल्वरस्टोन सर्किट (Silverstone Circuit) में आयोजित की गई। पहले फॉर्मूला वन ग्रैंड प्रिक्स विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अल्फ़ा रोमियो के ग्यूसेप फ़रीना ने जीता था। वहीं, फेरारी दूसरे नंबर पर थी।
Conclusion । निष्कर्ष
F1 History in Hindi में हमने आपको फॉर्मूला वन का इतिहास बताया है। इस लेख में बताया गया कि कैसे रेसिंग की दुनिया ने 1884 से लेकर 1950 के बीच खुद को परिवर्तित किया। फॉर्मूला वन अस्तित्व में कैसे आया। किस तरह से ग्रैंड प्रिक्स रेस का आयोजन किया गया। हमने सभी जानकारी इस लेख में समाहित की है।
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