भारत की युवा खिलाड़ी और WGM दिव्या देशमुख ने हाल ही में एशियन कॉन्टिनेन्टल 2022 में
काफी शानदार प्रदर्शन किया है , इस टूर्नामेंट में दिव्या दो मेडल जीतने वाली इकलौती भारतीय बनी ,
उन्होंने ब्लिट्स वुमन इवेंट में 7.5/8 का स्कोर हासिल किया और गोल्ड जीता और क्लैसिकल इवेंट
में उन्होंने ब्रॉनज़ मेडल हासिल किया | आज हम आपको इस लेख में दिव्या के जीवन के बारे में
बताएंगे की कैसे उन्होंने शतरंज में अपने करियर की शुरुआत की और WGM बनी |
5 वर्ष की उम्र में ही दिव्या ने शतरंज खेलना कर दिया था शुरू
दिव्या देशमुख का जन्म महाराष्ट्र के नागपूर में साल 2005 में 9 दिसंबर को हुआ था , जब वो चार वर्ष की थी तब वो बैडमिंटन खेला करती थी पर जब वो 5 वर्ष की हुई तो उन्होंने शतरंज में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया , शतरंज खेलने की आदत दिव्या को अपने पिता से लगी थी क्यूंकि वो भी शतरंज खेला करते थे | 5 वर्ष की उम्र में ही दिव्या ने अपना पहला शतरंज टूर्नामेंट भी जीता था इसके बाद 6 वर्ष की उम्र में उन्होंने राहुल जोशी से शतरंज सीखने की कोचिंग लेना शुरू कर दिया था |
2014 में जीते सबसे ज्यादा टूर्नामेंट
कोचिंग लेने के बाद दिव्या ने शतरंज की काफी प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया और उनमें से ज्यादातर में उन्हें जीत ही हासिल हुई | 2013 में उन्होंने एशियन यूथ चैम्पीयनशिप , और नैशनल चैम्पीयनशिप जीती थी | 2014 में साउथ अफ्रीका में आयोजित हुई विश्व U-10 चैम्पीयनशिप में भी उन्हें जीत हासिल हुई इस साल दिव्या ने काफी टूर्नामेंट में प्रथम स्थान हासिल किया और उनकी जीत का सफर यही तक नहीं रुका , आगे जा कर उन्होंने कई बड़े टूर्नामेंट में भी जीत हासिल की |
पिछले साल बनी भारत की 21वीं WGM
पीचले साल यानि 2021 में दिव्या देशमुख भारत की 21वीं महिला ग्रेंड मास्टर बनी थी , उन्होंने पिछले साल हंगरी के बुडापेस्ट में एक टूर्नामेंट के दौरान अपना दूसरा इंटरनेशनल मास्टर नॉर्म हासिल किया था जिसके बाद वो WGM बनी | इसी साल मार्च में वो नागपूर की पहली सीनियर नैशनल महिला शतरंज चैम्पीयन भी बनी , इस साल उनकी सबसे बड़ी जीत भूबनेश्वर में हुई थी जहा उन्होंने MPL की 47वीं नैशनल महिला चैम्पीयनशिप जीती थी , दिव्या विश्वनाथ आनंद को ही अपना सबसे बड़ा आइडल मानती है |
ये भी पढ़े:- जानिए 5 बार U.S.चैंपियन बन चुके GM हिकारु नाकामुरा के बारे में