आंध्रप्रदेश के काकीनाड़ा में आयोजित हुई 13वीं राष्ट्रीय प्रतियोगिता का फाइनल मैच हो चुका है. जिसमें मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच हुआ था. मध्यप्रदेश की इस महिला टीम में बैतूल की हॉकी खिलाड़ी कीर्ति देशमुख भी शामिल थी. मध्यप्रदेश की टीम जीती थी और इस टीम में गोलकीपर कीर्ति ने शानदार प्रदर्शन किया था. उसके पिता पीआर देशमुख उनकी इस जीत से काफी खुश है. जब मीडिया की टीम उनके घर पर पहुंची तो उनकी ख़ुशी देखने लायक थी. बैतूल शहर के मोती वार्ड में रहने वाले पीआर देशमुख नगर पालिका के रिटायर अकाउंटेंट हैं.
एमपी टीम में कीर्ति ने निभाई गोलकीपर की भूमिका
बता दें कीर्ति के पिता ने बताया कि पहले वह नहीं चाहते थे कि बेटी हॉकी खेलें. उन्हें सुरक्षा का डर सताता रहता था. लेकिन कीर्ति ने उनकी एक ना सुनी थी. और अपनी सहेली के साथ वह परिवार से छुपकर बैतूल के एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड पर खेलने जाती थी. कक्षा आठ से ही वह हॉकी खेलने लगी थी. वहीं काफी रोक-टोक के बाद भी कीर्ति ने खेलना जारी रखा था.
वहीं गोलकीपर कीर्ति देशमुख ने बताया कि बालाघाट में हुए स्टेट टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन अच्छा था. उन टूर्नामेंट में वह मैन ऑफ द मैच भी रही थी. इसकी बदौलत उनका चयन एमपी टीम में भी हुआ था. वह अकेली जूनियर खिलाड़ी थी जिसका चयन हुआ था. टीम में उनके साथ सीनियर, इंटरनेशनल प्लेयर, ओलम्पिक खिलाड़ी शामिल रहे थे. उन्होंने मैच के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि टीम में सीनियर खिलाड़ी होने के चलते मुझपर दारोमदार कम था. बाकी बी अन्य खिलाड़ियों ने अच्छे से मुझे सहारा दिया था.
वहीं उन्होंने एक मैच का जिक्र करते हुए बताया कि एक मैच में मुझसे बॉल मिस हो गई थी इस कारण एक गोल हुआ था. इससे टीम अंडर प्रेशर हो गई थी. लेकिन आक्रमक खेलते हुए 15 मिनट में ही चार गोल दागे थे. दूसरे मैचों में मुझ पर अटैक कम आया था. टीम में खिलाड़ी बेहद अच्छे थे. इसके कारण मुझ तक बॉल नहीं आई थी. कम अनुभव होने के बाद भी टीम का मुझे बहुत सपोर्ट मिला था.