कबड्डी का खेल वैसे तो भारत की मिट्टी से निकला था
लेकिन अब यह विश्व पटल पर छा गया है. अब यह इनडोर गेम बन चुका है जो मैट पर खेला जाने लगा है.
विश्व में करीब 30 से ज्यादा देश ऐसे है
जो कबड्डी के खेल को खेलते है. कबड्डी का वर्ल्डकप भी होने लगा है.
साथ ही प्रो कबड्डी लीग ने भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर के कबड्डी खिलाड़ियों को एक मंच दिया है
जहां कबड्डी की नई प्रतिभाएं देखने को मिलती है. इसकी लोकप्रियता
अब गांव की चौपालों से निकलकर लोगों की ड्राईंग रूम तक पहुंच चुकी है.
खेल मिटटी से हटकर मैट तक पहुंच चुका है. भारत ने पुरुष कबड्डी में सात गोल्ड और एक ब्रॉन्ज मेडल जीता है.
ऐसे में सभी के मन में सवाल है कि कबड्डी इतना लोकप्रिय होने के बाद भी
ओलिंपिक खेलों में क्यों नहीं सम्मलित हुआ है. तो इसका एक कारण यह है
कि ओलिंपिक खेलों में किसी खेल को जोड़ने के लिए शर्त यह है कि
चार महाद्वीपों में कम से कम 75 देश किसी खेल को खेलते हों.
इसके बिना किसी खेल को ओलिंपिक में जगह नहीं मिल सकती.
जहां तक कबड्डी की बात है कि दुनिया में 30 से ज्यादा देश इसे खेलते हैं
30 देशों में खेला जाता है कबड्डी का खेल
लेकिन यह आवश्यक 75 से काफी कम है. यही वजह है
कि खेलों के महाकुम्भ कहे जाने वाले ओलिंपिक खेलों में आप कबड्डी-कबड्डी की आवाज नहीं सुन पाते हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में थोड़ी सी जगह मिली थी.
तब भारतीय दल ने इसका छोटा सा डैमो पेश किया था.
लेकिन इसके अलावा विश्व के खेलों के सबसे बड़े मंच पर यह भारतीय खेल जगह नहीं बना पाया है.
कबड्डी में भी प्रो कबड्डी लीग की शुरुआत के बाद खिलाड़ियों में काफी सुधार आया है.
वहीं इस लीग में कईं अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के जुड़ने से
इस खेल को वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने में काफी मदद मिल रही है.
जानिए क्यों ओलिंपिक में नहीं खेला जाता यह खेल
इसी के साथ टीवी पर खेल दिखाए जाने से भी लोगों को इससे जुड़ने में मदद मिल रही है.
और लोग भी इस खेल की बारीकियां भी सिख रहे हैं.
वर्ल्डकप और एशिया कप में भी अब कबड्डी की कई टीमें भाग लेती है.