कबड्डी का खेल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अब तो अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी परचम लहरा रहा है.
इसी कसाथ कबड्डी में तो भारत का दारोमदार हमेशा से रहा है. हर खेल की भांति इस खेल को बड़े सलीके के साथ नियम कायदे से खेला जाता है.
जिसमें सभी खिलाड़ी को इनका पालन करना होता है.
इसमें दो टीम एक मैच में हिस्सा लेती है जिसमें सात-सात खिलाड़ी प्रत्येक टीम में होते है.
मैच में रेडर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है.
कबड्डी में रेडर के नियम
क्योंकि वहीं ऐसा खिलाड़ी होता है जो ज्यादा से ज्यादा अपनी टीम के लिए पॉइंट बनाकर ला सकता है.
रेडर की रेड तभी तक मानी होती है जब रेडर कम से कम एक पैर बाउल रेखा को पार लेता है.
वहीं उसे रेखा को पार करते समय कबड्डी-कबड्डी शब्द का उच्चारण करना होता है जिसका क्रम नहीं टूटना चाहिए.
कबड्डी में यह भी नियम है की रेडर को उसके अंगों और धड़ के अलावा किसी भी अन्य चीज से नहीं पकड़ा जा सकता है.
मैच के दौरान कोई भी प्लेयर कोर्ट से बाहर नहीं जा सकते हैं. ऐसा करने पर एक अंक का नुकसान हो सकता है.
कबड्डी में कोर्ट के नियम
इसके अलावा कोर्ट में एक स्थान होता है उसे लॉबी कहते है. यह तभी सक्रिय होता है जब रेडर ने विरोधी टीम के सदस्य हो टच किया हो.
साथ ही ये भी बताते चलें कि बिना अंक अर्जित करने वाली रेड एक बार में एक ही की जा सकती है.
ऐसा लगातार दो बार करने पर आक्रमण करने वाली टीम का अगला रेड डू ऑर डाई होता है.
अगर वो एक अंक हासिल करने में नाकाम रहते हैं तो विपक्षी टीम को एक अंक मिल जाता है.
साथ ही किसी खिलाड़ी का अंग भी कोर्ट से या कबड्डी के ग्राउंड से बाहर चला जाता है तो उसे आउट माना जाता है.
कबड्डी के खेल में ग्रीन स्लीव और सैफरॉन स्लीव होता है जो अंकों के आधार पर शीर्ष रेडर और रक्षक बनता है उन्हे ये पदक दिया जाता है.
वहीं कोर्ट में बोनस लाइन भी होती है. यह तभी सक्रिय होती है जब टीम में 6 से 7 खिलाड़ी होते है.