भारत में हॉकी को राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त है. ऐसे में हॉकी के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार ने काफी कुछ किया है. एक जमाना था जब हॉकी में भारत का सिक्का बोला करता था. और मेजर ध्यानचंद जैसे खिलाड़ी भारतीय टीम में थे. उन्होंने ही भारत को सबसे ज्यादा ओलम्पिक में स्वर्ण पदक दिलाए थे. तब भारतीय टीम हॉकी में सबसे सफल मानी जाती थी.
उड़ीसा ने भारत में हॉकी का बढ़ाया सम्मान
ऐसे में आधुनिक युग में हॉकी का प्रचार भारत में कम होने लगा था. वहीं भारतीय टीम भी बड़े टूर्नामेंट में ज्यादा सफल नहीं हो रही थी. वहीं भारत के प्रायोजक सहारा कम्पनी ने भी भारतीय टीम से हाथ पीछे ले लिए थे. ऐसे में भारतीय टीम के प्रायोजक के रूप में उड़ीसा सरकार आगे आई थी. और भारतीय टीम को सहारा दिया था. वहीं भारतीय टीम को आगे बढ़ाने में उड़ीसा सरकार का काफी हाथ रहा है. उड़ीसा सरकार ही भारतीय महिला और पुरुष टीम की प्रायोजक बनी हुई है. और आने वाले दस सालों के लिए उड़ीसा सरकार ही यह जिम्मा सम्भालने वाली है.
उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने देश के युवाओं को हॉकी से जोड़ने के लिए कई मुहीम भी चलाई. इतना ही नहीं भारत लगातार दो बार विश्वकप का आयोजक भी बन चुका है. साथ ही उड़ीसा सरकार ने खिलाड़ियों को वो सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई है जिसका वह हकदार था और उन्हें नहीं मिल रही थी.
इतना ही नहीं उड़ीसा सरकार ने राउरकेला में बहुत आधुनिक और विश्वकप का सबसे बड़ा हॉकी स्टेडियम तक बनवा दिया है. जिससे उनकी काफी वाह-वाही हो रही है. उड़ीसा में हॉकी का अलग ही बदला रूप है. यहां का युवा बचपन से ही हॉकी से प्यार करने लग जाता है. और अन्य किसी खेल के बारे में ना सोचकर वह हॉकी में अपनी किस्मत आजमाता है.
उड़ीसा सरकार ने इतना ही नहीं 69 छोटे-छोटे हॉकी स्टेडियम बनवाए है और अब उनका अगला लक्ष्य हर गाँव, शहर में एस्ट्रोटर्फ वाला हॉकी मैदान बनवाना है. ताकि किसी भी खिलाड़ी या टीम को खेलने में कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े.