भारत में उड़ीसा राज्य को भारतीय हॉकी का सहारा माना जाता है. अगर उड़ीसा सरकार हॉकी को सहारा नहीं देती तो भारत में हॉकी का पतन होना निश्चित था. बात साल 2018 की है जब हॉकी इंडिया को स्पोंसर करने वाले सहारा ने इससे हाथ पीछे ले लिया थ. तब भारतीय टीम को स्पोंसर करने के लिए कोई आगे नहीं आया था. तब एकमात्र उड़ीसा राज्य की सरकार ने भारतीय हॉकी टीम का हाथ थामा था और इसे सहारा दिया था.
उड़ीसा राज्य दस साल और बनेगा हॉकी इंडिया का प्रायोजक
उस समय भारत के सामने तीन बड़े टूर्नामेंट थे. विश्वकप, राष्ट्रमंडल खेल और एशियम गेम्स जैसे बड़े टूर्नामेंट के चलते भारतीय टीम को उड़ीसा ने ही सम्भाला और इसका प्रायोजक बनने का फैसला किया था. तब उड़ीसा सरकार ने पांच साल के लिए हॉकी इंडिया सर करार किया था. उसमें पुरुष और महिला दोनों टीमों की स्पोंसरशिप शामिल थी. और यह करार करीब 140 करोड़ में हुआ था. लेकिन जब टोक्यो में भारत ने पदक जीता तब उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एलान किया कि उड़ीसा ही अगले दस सालों तक भारतीय हॉकी का प्रायोजक रहेगा.
इससे पहले साल 2014 में उड़ीसा ने चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन भी किया था. तभी से हॉकी इंडिया और उड़ीसा राज्य के रिश्ते मजबूत हुए थे.