जेन काउच महिला मुक्केबाजी का सबसे बड़ा नाम जिन्होंने महिला बॉक्सिंग म रचा कही इतिहास। शनिवार को सवाना मार्शल और क्लेरेसा शील्ड्स का मुकाबला इतिहास रचने वाले है। ये अपने आप मे नया इतिहास है जो 24 साल के बाद किसी महिला बॉक्सिंग प्रतियोगता का संचार हुआ है।
काउच प्रेरणा का स्त्रोत
इसके पीछे जेन काउच निर्भीक प्रेरक शक्ति इसका सबसे बड़ी कारण थी। जिन्हे सन्यास लिए 14 साल हो चुके है और वो मार्शल की बहुत ही बड़ी फैंन है। जिन्होंने काउच की तरह इस मुकाम को पाने के लिए कही संगर्ष किए है।
मार्शल ने कई बार प्रो बॉक्सिंग से दूर जाने पर विचार किया, इस डर से कि उसकी प्रतिभा को कभी पहचाना नहीं जाएगा या ठीक से मुआवजा नहीं दिया जाएगा।अगर वह 27 वर्षीय अमेरिकी शील्ड्स को हरा देती है तो वह इसे बाहर निकल सकती है और अब एक घरेलू नाम बन सकती है।
बॉक्सिंग एक लडाई, पर उस लडाई के लिए काउच ने अपनी जिंदगी से बॉक्स किया है। वे कही लड़की के लिए प्रेरणा दायक है। बले कही लोगो ने उनके इतिहास को बुला दिया हो पर जो उन्होंने महिला बॉक्सिंग के लिए किया है वो कभी बुलाने लायक नही होगा।
उनके लिए धन्यवाद, ब्रिटिश महिलाएं अब एक बॉक्सिंग जिम में जा सकती हैं और खुद को स्वीकृत महसूस कर सकती हैं, ट्रेनिंग कर सकती है अब उन्हे किसी से पुछने या मन मे शंका करने की आवशयक्त नही है।
1986 मे जन्मी काउच ,काउच फ्लीटवुड में चार भाई-बहनों में से एक के रूप में बड़ा हुआ। किशोरी के रूप में वह अक्सर सड़कों पर झगड़ती थी। इसके चलते उन्हे स्कूल से निकाल दिया गया था।
काउच अपने पंक रॉक भाई के पीछे 16 साल की उम्र में लंदन चली गई। सप्ताह के दौरान पब में पिंट खींचने के बाद, वह दोस्तों के साथ मिलने के लिए फ्लीटवुड लौट आती थी और सड़क पर विवाद जारी रहता था।
यह सब दो महिला मुक्केबाजों, अमेरिकी क्रिस्टी मार्टिन और आयरलैंड के डिएड्रे गोगार्टी के बारे में चैनल 4 वृत्तचित्र के साथ शुरू हुआ। इसने एक बदलाव को जन्म दिया। इस तरह शुरू हुआ था बॉक्सिंग में काउच का सफर।
लड़कियो को बॉक्सिंग की अनुमति उस समय नही थी, और वह अगले दिन ही जिम गई पर उन्हे बोला गया इस देश मे महिला का बॉक्सिंग करना प्रतिबंध है। फिर उन्होंने कितने ही कष्ट के साथ एक ऐसी रचना की जो सदा के लिए महिला बॉक्सिंग मे एक मिसाल बनकर कायम हो गई।