जाने बॉक्सिंग का क्या है इतिहास और उसके बदलाव की कहानी। बॉक्सिंग एक ऐसा खेल जो आज जन – जन तक एक प्रसिद्ध खेलो मे से एक है। समान वेट क्लास और कही नए उत्पन्न अपेक्षाओं ने इस खेल को बहुत बड़ी ऊँचाई की तरफ इसका प्रसार कर दिया है। इस समय की बॉक्सिंग मे खिलाडियों के उपर खास त्वजु दी जाती है, एक सही डाइट प्लान दिया जाता है। जिससे बोक्सर्स अपना सही बॉडी वेट प्राप्त कर सके। कुछ इस तरह के आधार पर आधुनिक बॉक्सिंग का कार्य किया जाता है। सोचने वाली बात है आज हमारे पास इतने साधन है। लेकिन जिज्ञासा इस बात की है कि इन सब की शुरुआत कहा से हुई।
बॉक्सिंग का आगाज और उसका इतिहास
प्राचीन ग्रीक सभ्यताओं से पहले खेलने में अपनी मुट्ठी उठाने से लेकर लास वेगास स्ट्रिप की चमकदार, ग्लैमरस रोशनी तक, बॉक्सिंग को मानव इतिहास के पन्नों में इनका लेखन किया गया है। कहाँ से शुरू हुआ इसका आगाज़ केसे परिवर्तित हुए इसके नियम, इसकी पुरी पुष्टि कि जाएगी।इतिहास में मुक्केबाज़ी की सबसे पहली उपस्थिति इराक में पाई गई सुमेरियन कलाकृतियों से मिलती है,जो की तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व से उत्पन्न होने का अनुमान लगाया है।इसी तरह के प्रमाण अश्शूर और बेबीलोनिया के मेसोपोटामियन देशों से भी खोजे गए थे। इन नक़्शों में दो लोगों को पहली बार खेल में मुट्ठियाँ लपेटे हुए एक दूसरे को मुक्का मारते हुए दिखाया गया है।
जो लगभग इसका अहसास दिलाता है कि आदिकाल से ही बॉक्सिंग खेल कि प्रता चली आ रही है, जिसे उस फॉर्म मे नही खेला जाता था जो आज के फॉर्म मे खेला जाता है।बॉक्सिंग अंत प्राचीन ग्रीस द्वारा अधिग्रहित की गई और लोगों द्वारा पसंद किया जाने वाला एक लोकप्रिय और विकसित खेल बन गया। इसे पहली बार 688 ईसा पूर्व में 23वें ओलंपियाड में ओलंपिक खेल के रूप में पेश किया गया था। उस समय, मुक्केबाज सुरक्षा प्रदान करने के लिए अपने हाथों को लपेटने के लिए लेथर के थोंग का इस्तेमाल करते थे।
केसे रही होगी उस समय की बैक्सिंग प्रणाली
उस समय की बॉक्सिंग प्रणाली आज के नए प्रणाली से बिल्कुल ही अलग हुआ करती थी। उस समय मैचों में राउंड नहीं होते थे जैसे कि आज हम उन्हें जानते हैं। इसके बजाय, बोक्सर्स तब तक तक लडाई करते थे की जब तक कि उनमें से एक ने हार नहीं मान लेता या उससे लडाई आगे जारी नहीं की जा सकती थी। कोई वेट क्लास नहीं था, जिसका अर्थ है कि सभी वेट के पुरुष किसी का भी सामना कर सकते थे, स्वाभाविक रूप से बड़े प्रतियोगियों के साथ समझ में आता था।
उसी के कुछ दशक के दौरान पारंपरिक मुक्केबाज़ी के रुख को पेश किया गया था, जिसमें लीड लेग थोड़ा आगे था और लीड हैंड एक गार्ड के रूप में अर्ध-विस्तारित था। तब प्रमुख हाथ को वापस पीछे से रखे हुए पंच के लिए तैयार किया जाएगा वेसा एक नया रूल इसी बीच अनुकृत किया गया था। इसमें आज का क्लासिक बॉक्सिंग रुख शामिल है। फिर कुछ समय बाद धीरे धीरे इसमे बदलाव किया जाने लगा था समय के अनुसार।
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16 वी शताब्दी मे बॉक्सिंग का नया अध्याय
जैसे जैसे ये खेल का प्रसार फैलता चला गया वेसे वेसे इस खेल मे नए अध्याय जुड़ने लग गए थे और 16 शताब्दी मे इस खेल को और भी विस्तृत और जन जन के लोगो तक पहुँचाने के लिए नई तरकीबे आजमाए जाने लगी। 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में इंग्लैंड में जब बिना ग्लोवेस् के मुक्केबाजी नामक खेल की विविधताओं में से एक का जन्म हुआ। यहाँ, प्रतियोगियों को पुरस्कार-योद्धा कहा जाता था क्योंकि मुक्केबाज़ आमतौर पर छोटी-छोटी चीज़ों या पुरस्कार राशि के लिए बॉक्सिंग फाइट की जाती थी
1681 में लंदन में बिना ग्लोवेस मुक्केबाज़ी का पहला प्रलेखित विवरण था, जब क्रिस्टोफर मोंक, अल्बेमर्ले के दूसरे ड्यूक ने अपने बटलर और उनके कसाई के बीच एक मैच का आयोजन किया। वर्षों बाद, पहली बार इंग्लिश बेयर-नकल बॉक्सिंग चैंपियन का ताज पहनाया गया, जिसे जेम्स फिग ने 1719 में टाइटल जीता था। इस समय “बॉक्सिंग” शब्द का भी इस्तेमाल किया जाने लगा और वो लदन शहर मे काफी जोर से मशहूर होने लगा था।
नियम और सुरक्षा का हुआ आगाज़
जैक ब्रॉटन, जो बाद के बिना ग्लोवेस् मुक्केबाजी चैंपियनों में से एक थे, उन्होंने पुरस्कार विजेताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा के लिए 1743 में मुक्केबाजी के पहले नियम-सेट की शुरुआत की।इस नियम के तहत, यदि कोई मुक्केबाज़ नीचे गिर जाता है और 30 सेकंड के भीतर वापस नहीं उठ पाता है, तो मैच समाप्त हो जाता है।ब्रॉटन नियमों के बहुत सारे नियम और रेगुलेशन आज के आधुनिक मुक्केबाजी में मौजूद हैं, जैसे कि सिर से मारना, आंख मारना, लात मारना, प्रतिद्वंद्वी को नीचे गिराने पर मारना, रस्सियों को पकड़ना और काटना प्रतिबंधित है।
मार्क्वेस ऑफ क्वींसबेरी नियम
बॉक्सिंग मे बहुत बड़ा बदलाव का पल 18 वे शताब्दी मे आया, जहाँ 18 वे सदी के मध्य में, नियम-सेट जो व्यावहारिक रूप से अब आधुनिक मुक्केबाजी को नियंत्रित करता है, उसका उदय हुआ था। जॉन चेम्बर्स द्वारा विकसित, क्वींसबेरी नियमों के प्रसिद्ध मार्क्वेस को क्वींसबेरी के मार्क्वेस के संरक्षण के तहत प्रकाशित किया गया था। यह नाम इतिहास में बॉक्सिंग के खेल से सबसे जुड़े नाम के रूप में जाना जाएगा।
नियम निर्दिष्ट करते हैं कि मैच “निष्पक्ष” और “स्टैंड-अप” होना चाहिए जो आमतौर पर 24 फीट के चौकोर रिंग में होता है। मुकाबलों में तीन मिनट के राउंड होते थे, जिसमें राउंड के बीच एक मिनट का आराम होता था। नॉकडाउन की स्थिति में प्रत्येक मुक्केबाज को दस की गिनती दी जाती है। किसी भी प्रकार की हाथापाई या कुश्ती पूरी तरह से प्रतिबंधित थी।
मुक्केबाज़ी दस्तानों के आगमन ने भी खेल को पूरी तरह से बदल दिया और मुकाबलों को सुरक्षित बना दिया। घूंसों को रोकने के लिए आमतौर पर दस्तानों का इस्तेमाल किया जाता था। मुक्केबाज़ी दस्तानों के आने के कारण, मुकाबलों की अवधि लंबी हो गई और रणनीति काम में आने लगी। साथ ही डिफेंसिव तकनीक का भी इस्तेमाल होने लगा। और कुछ ही दशको मे बॉक्सिंग के प्रचार के साथ उसका पुरा मूल रूप ही एकदम से बदल गया था।
19वीं शताब्दी के दौरान, बॉक्सिंग की लोकप्रियता में अत्यधिक वृद्धि हुई है, जिसने असंख्य खेल नायकों और दिग्गजो को जन्म दिया है, जिन्होंने दुनिया भर की कल्पनाओं को आकर्षित किया है।सैकड़ों देशों में आधुनिक पेशेवर मुक्केबाजी का अभ्यास किया जाता है, जहां इसकी लोकप्रियता अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ी है। अमेरिका, रूस, मेक्सिको जैसे देशो ने बॉक्सिंग को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग बना लिया है।