कबड्डी का खेल दुनियाभर में मशहूर हैं. इसका प्रसार भारत से हुआ है लेकिन अब यह दुनिया भर में फ़ैल चुका है. इसके साथ ही खिलाड़ियों को भी इस खेल से पहचान मिल रही है. वहीं भारत के मध्यप्रदेश राज्य में यह खेल दो समुदाई को जोड़ने का काम कर रहा है. बता दें मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में यह खेल हिन्दू-मुस्लिम समुदाई के बीच खेला जाता है. और इसे खेलने से वह इसे भाईचारे का प्रतीक मानते हैं.
हिन्दू-मुस्लिम एकता को प्रदर्शित करता कबड्डी खेल
मुस्लिम बाहुल्य रांकई गांव और हिन्दू बाहुल्य पिपरिया और रातिकरार गांव समरसता बनाने और नौजवानों को नशे से दूर रखने के लिए उन्हें कबड्डी से जोड़ा जा रहा है. जुनून ऐसा है कि करीब नौ साल पहले शुरू हुआ यह आयोजन मिटटी के मैदान से होता हुआ अब मैट पर आ चुका है. आज राज्य स्तरीय की टीमें भी यहाँ खेलने आती है और इस गांव में कई प्रसिद्द खिलाड़ी अपना प्रदर्शन दिखाते आते हैं.
तीन दिवसीय इस आयोजन का ख़ास उद्देश्य है. सभी गांव के लोग आपस में एकजुट रहें और सामजिक समरसता का संदेश देते रहें. वहीं युवा पीढ़ी क स्वास्थ्य और खेल से जोड़कर बुराइयों से बचाना है. इस आयोजन के के लिए सभी लोग आपस में मिलजुल कर पूरा सहयोग करते है और आगे बढ़ने का काम करते हैं. इसी वजह से प्रेम और सद्भाव के साथ सामाजिक समरसता का संदेश देता ये आयोजन दिन पर दिन बहुत प्रसिद्द होता जा रहा है. ग्रामीण परिवेश में प्रो कबड्डी जैसी सुविधाएं, दुधिया रौशनी में मैट पर कबड्डी का खुमार और ठण्ड के बावजूद खेल प्रेमियों से खचाखच भरा ग्राउंड इस खेल में चार चाँद लगा देते हैं.
बता दें यह आयोजन इतना प्रसिद्द हो चुका है कि इसमें राज्य के कोने-कोने से खिलाड़ी भाग लेने आते हैं. उन्हें यहां की सुविधाएं भी अच्छी लगती है. इस खेल में मातलपुर, जबलपुर, भोपाल के आसपास के इलाके की टीमें हिस्सा लेती है.
