कुछ ऐसे था Indian Football टीम का शुरुआती सफ़र: क्रिकेट की ही तरह अब धीरे धीरे भारत में फुटबॉल प्रेमियों की संख्या बढ़ने लगी है। फुटबॉल भारत में सबसे लोकप्रिय और अत्यधिक प्रशंसित खेलों में अपनी अलग पहचान बना चुका है। आज हम भारतीय फुटबॉल (Indian Football) के इतिहास की बात करेंगे।
फुटबॉल के क्षेत्र में भारत ने कई बड़े बड़े फुटबॉलर दिए हैं। भारत में फुटबॉल का इतिहास बहुत पुराना है। 16वीं शताब्दी में जब अंग्रेज भारत आए थे उसी के आसपास भारत में भी इस खेल की शुरुआत हुई थी।
पहली बार हुआ फुटबॉल मैच
भारत में फुटबॉल मैच पहली बार 1854 में ‘कोलकाता क्लब ऑफ सिविलियंस’ और ‘द जेंटलमैन ऑफ बैरकपुर’ टीम के बीच खेला गया था। यानी हम कह सकते हैं कि 18 श54 से भारत में फुटबॉल खेलने की शुरुआत हुई थी। फिर धीरे-धीरे ऐसे ही कई प्रकार के टूर्नामेंट का आयोजन होने लगा। आगे चलकर 1872 में पहला फुटबॉल क्लब ‘फुटबॉल क्लब कोलकाता’ नाम से स्थापित किया गया।
19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में कई फुटबॉल क्लब स्थापित हो चुके थे। जैसे मोहन बागान एथलेटिक क्लब की स्थापना 1889 में हुई। डलहौजी क्लब, ट्रेडर्स क्लब और नौसेना क्लब ऐसे कई फुटबॉल क्लब 19वीं शताब्दी के अंत तक खोले गए। वही मोहन बागान एथलेटिक क्लब को आगे चलकर ‘नेशनल क्लब आफ इंडिया’ कर दिया गया।
भारतीय फुटबॉल संघ (IFA) की स्थापना
जैसे कई फुटबॉल क्लब अस्तित्व में आए तो 1893 में भारतीय फुटबॉल संघ यानी इंडियन फुटबॉल एसोसिएशन (IFA) की स्थापना की गई। भारतीय फुटबॉल संघ के अस्तित्व में आने के बाद भारत में खुले सभी फुटबॉल क्लब को भारतीय फुटबॉल संघ के अंतर्गत रखा गया। भारतीय फुटबॉल संघ मैं 1930 ईस्वी तक कोई भी भारतीय शामिल नहीं था। 1930 तक भारतीय फुटबॉल संघ का मैनेजमेंट अंग्रेज ही देखते थे।
डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट की शुरुआत
भारत का सबसे पुराना और दुनिया का तीसरा सबसे पुराना फुटबॉल टूर्नामेंट जिसे हम डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट के नाम से जानते हैं। उसकी शुरुआत 1898 में भारत के वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से हुई थी। पहली दफ़ा 1898 में डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट खेला गया था। इस टूर्नामेंट का नाम तब के तत्कालीन विदेश सचिव सर मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया था। मोर्टिमर डूरंड ने डूरंड टूर्नामेंट का उद्घाटन किया था। 1911 में मिली उपलब्धि 1911 आते-आते भारत में फुटबॉल बहुत फल फूल चुका था। लेकिन अभी तक ऐसी कोई उपलब्धि भारत में फुटबॉल में नहीं हासिल की थी जिससे उसका नाम हो सके। हालांकि 1911 में मोहन बागान फुटबॉल क्लब ने एसी आईएफए-शील्ड ट्रॉफी जीत हासिल करने वाली पहली टीम बनी। भारतीय फुटबॉल के इतिहास में 1911 की यह जीत सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी जाती है। उस समय यह ट्रॉफी भारत में खेलने वाली ब्रिटिशटीमों द्वारा ही जीती जाती थी लेकिन 1911 में इतिहास पलट गया और किसी भारतीय टीम ने एसी आईएफए-शील्ड ट्रॉफी में कब्जा किया। इसीलिए इस जीत को भारतीय फुटबॉल (Indian Football) के इतिहास में सबसे बड़ी जीत कहा जाता है।
अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ का गठन
भारत में मौजूद ब्रिटिश टीमों को हराकर मोहन बागान क्लब ने 1911 में आईएफए-शील्ड ट्रॉफी जीती तो उसके बाद भारत में कई फुटबॉल टूर्नामेंट और कई फुटबॉल क्लब अस्तित्व में आए। फुटबॉल क्लब की संख्या धीरे- धीरे बढ़ रही थी इसी को देखते हुए 1937 में ऑल इंडियन फुटबॉल फेडरेशन यानी अखिल भारतीय फुटबॉल (Indian Football) महासंघ का गठन किया गया।
भारतीय फुटबॉल का स्वर्ण युग
अगर हम भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग की बात करें तो 1951 से लेकर 1962 के बीच के सालों को भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग में गिना जाता है। क्योंकि इसी दौरान भारतीय फुटबॉल टीम (Indian Football Team) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई टूर्नामेंट्स और प्रतियोगिताओं में बहुत ही अच्छा खेल दिखाया था। 1956 में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में हुए ओलंपिक खेलों में फुटबॉल में भारतीय फुटबॉल टीम सेमीफाइनल में पहुंची थी। 1956 तक एशियाई देशों की कोई भी टीम ओलंपिक के सेमीफाइनल में नहीं पहुंची थी। भारतीय फुटबॉल टीम(Indian Football Team) की पहली टीम थी जो 1956 के ओलंपिक में सेमी फाइनल में पहुंचने वाली पहली टीम बनी थी। तो कुछ इस तरह था भारतीय फुटबॉल टीम का सफर।
उम्मीद है कि आपको अच्छा लगा होगा और इस लेख से आपको इंडियन फुटबॉल टीम के बारे में जानकारी मिली होगी। ऐसी ही रोचक फुटबॉल की खबरों और फुटबॉल के फैक्ट्स को जानने के लिए जुड़े रहे हमारे साथ।