First Modern Football: फुटबॉल, जिसे सॉकर के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आधूनिक फुटबॉल का आविष्कार कैसे हुआ था? फुटबॉल का इतिहास प्राचीन सभ्यताओं से जुड़ा हुआ है, लेकिन आधूनिक फुटबॉल का विकास 19वीं सदी में हुआ। इस लेख में हम जानेंगे कि पहला आधूनिक फुटबॉल कैसे बना था और इसमें कौन-कौन से महत्वपूर्ण बदलाव हुए थे।
प्रारंभिक फुटबॉल का इतिहास
फुटबॉल के खेल की जड़ें प्राचीन चीन, ग्रीस, रोम और मेसोअमेरिका जैसी सभ्यताओं में मिलती हैं। चीन में ‘कुजू’ नाम का खेल खेला जाता था, जिसमें चमड़े की गेंद का इस्तेमाल होता था। रोम में भी एक ऐसा ही खेल ‘हार्पास्टम’ खेला जाता था। लेकिन ये सभी खेल आज के फुटबॉल से काफी अलग थे और इनमें खेलने के नियम भी अलग-अलग थे।
First Modern Football: 19वीं सदी का इंग्लैंड
आधूनिक फुटबॉल का विकास 19वीं सदी के इंग्लैंड में हुआ। उस समय इंग्लैंड के पब्लिक स्कूलों में फुटबॉल के विभिन्न रूप खेले जाते थे, लेकिन इन खेलों के नियम एक जैसे नहीं थे। हर स्कूल का अपना एक अलग तरीका था। ऐसे में एक समान और संगठित खेल की आवश्यकता महसूस की गई।
फुटबॉल के नियमों का विकास
फुटबॉल के खेल को संगठित करने के लिए 1863 में इंग्लैंड के फुटबॉल एसोसिएशन (FA) का गठन हुआ। FA ने फुटबॉल के लिए पहली बार आधिकारिक नियम बनाए। इन नियमों को ‘कैम्ब्रिज रूल्स’ के नाम से जाना जाता है। इन नियमों में खेल के मैदान के आकार, गोल की चौड़ाई और खेल के समय से संबंधित दिशा-निर्देश शामिल थे।
पहला आधूनिक फुटबॉल । First Modern Football
पहला आधूनिक फुटबॉल बनाने का श्रेय चार्ल्स गुडईयर को जाता है। गुडईयर ने 1836 में वल्कनाइजेशन प्रक्रिया का आविष्कार किया, जिससे रबर को मजबूत और लचीला बनाया जा सकता था। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने 1855 में पहली बार रबर की गेंद बनाई। यह गेंद पहले की चमड़े की गेंदों से अधिक मजबूत और टिकाऊ थी।
गुडईयर की गेंद
गुडईयर की गेंद में रबर की परत होती थी, जो उसे लचीला बनाती थी। इसके अंदर हवा भरने के लिए एक वाल्व भी होता था। इस तरह की गेंदें पहले की गेंदों से काफी बेहतर साबित हुईं। गुडईयर की इस खोज ने फुटबॉल के खेल में क्रांति ला दी और आधूनिक फुटबॉल की नींव रखी।
गेंद के आकार और संरचना में सुधार। First Modern Football
First Modern Football के बाद गुडईयर की गेंद के बाद, 1862 में रिचर्ड लिंडन ने फुटबॉल की गेंद के डिज़ाइन में और सुधार किए। उन्होंने रबर के ब्लैडर का आविष्कार किया, जो गेंद के अंदर हवा को बनाए रखता था और उसे गोल आकार देता था।
इसके बाद, 1872 में FA ने गेंद के आकार और वजन के लिए मानक निर्धारित किए। इस मानक के अनुसार, गेंद का परिधि 27-28 इंच और वजन 14-16 आउंस होना चाहिए। 20वीं सदी की शुरुआत में चमड़े की गेंदों का प्रचलन बढ़ गया। चमड़े की गेंदें रबर की गेंदों की तुलना में अधिक टिकाऊ और खेलने में बेहतर होती थीं।
अब रबड़ की बनती है गेंद
पहला आधुनिक फुटबॉल गोल (First Modern Football) चमड़े से बना होता था और इसे फुलाने के लिए हवा का उपयोग किया जाता था। 1970 में, पहला लाल कार्ड ब्राज़ील के खिलाड़ी कार्लोस एल्बर्टो को दिया गया था। 20वीं सदी की शुरुआत में चमड़े की गेंदों का प्रचलन बढ़ गया। चमड़े की गेंदें रबर की गेंदों की तुलना में अधिक टिकाऊ और खेलने में बेहतर होती थीं। 1999 में, महिलाओं का पहला फीफा विश्व कप आयोजित किया गया था। 2006 में, जर्मनी ने अपना चौथा फीफा विश्व कप खिताब जीता, जो किसी भी अन्य देश से अधिक है।
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