Kabaddi Player Sachin Kushram Journey: मध्य प्रदेश के छोटे से आदिवासी गांव का एक बालक जो बचपन मे कबाड़ी खेलता था, उसे खुद यह नहीं पता था कि वह एक दिन अपने जिले के साथ ही पूरे भारत देश का नाम रोशन कर देगा।
हम जिस खिलाड़ी की बात कर रहे है उनका नाम सचिन कुशराम (Sachin Kushram) जो मध्य प्रदेश के एक छोटे से आदिवासी गांव से आते है और उन्होंने इंडिया अंडर-19 कबड्डी चैंपियन में तहलका मचा दिया। तो आइए यहां 19 वर्षिय कबड्डी खिलाड़ी के अंडर -19 कबड्डी टीम में चुने जाने से लेकर देश को विश्व मंच पर जीत दर्ज करने में मदद करने तक के सफर को जानते है।
Sachin Kushram का परिचय
युवा सचिन कुशराम जो राज्य के डिंडोरी जिले के रुसा मल गांव के रहने वाले हैं, वह भारतीय अंडर-19 कबड्डी टीम का हिस्सा रहे हैं, जिसने फाइनल खिताब जीतने के लिए ईरान को हराया था।
बता दें कि अंडर-19 कबड्डी मैच 26 फरवरी से 5 मार्च के बीच ईरान में खेला गया।
न्यूज़ एजेंसी ANI से बात करते हुए, सचिन ने कहा कि उनका चयन पहले विश्वविद्यालय स्तर पर हुआ था और फिर अंडर -19 भारतीय कबड्डी टीम के लिए ट्रायल हुआ जिसमें उनका चयन हुआ।
उसके बाद हम वर्ल्ड कप मैच खेलने ईरान गए। हमारा पहला मैच बांग्लादेश के खिलाफ हुआ था और हमने उन्हें हराया था। इसी तरह हमने सेमीफाइनल में पाकिस्तान को हराया और फिर ईरान के खिलाफ फाइनल मैच खेला।
फाइनल मैच में, एक क्षण ऐसा आया जिसमें हमने सोचा कि हम मैच हार सकते हैं लेकिन टीम ने वापसी की और अंतिम खिताब जीता।
Sachin Kushram की प्रारंभिक शिक्षा
सचिन ने कहा कि उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा डिंडोरी के सरस्वती शिशु मंदिर से पूरी की। उसके बाद उन्होंने कक्षा 7 तक जबलपुर में और हाईस्कूल तक की पढ़ाई कटनी में की। वे फिर से अपने गृह जिले लौट आए और अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी की।
उसके बाद उन्होंने CUET (कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) को क्रैक किया, जिसके बाद उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया और फिर बाद में यूनिवर्सिटी से कबड्डी के लिए सिलेक्ट किए गए।
अपने बेटे के लिए बहुत खुश हूं: सचिन के पिता
सचिन के पिता मनोज कुशराम, जो एक सरकारी शिक्षक हैं, उन्होंने कहा, ‘मैं अपने बेटे के लिए बहुत खुश हूं। मैं चाहता हूं कि मेरा बेटा अपने खेल से परिवार, समाज, गांव, जिला, प्रदेश और देश का नाम रोशन करे।
Sachin Kushram ने कहा कि उनकी उपलब्धि में उनके माता-पिता, ट्रेनर जगदीश कुंबले और कोच अनूप यादव का विशेष योगदान था और उनकी मदद से वह यहां तक पहुंचे।
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