History Of Chess in Hind: शतरंज जिसे अंग्रेजी में चेस (Chess) कहा जाता है। वर्तमान समय में शतंरज लोगों का इतना प्रिया खेल बन चुका है कि इसे खेलने वाले हर घर में मिल जायेंगे। इस खेल की उत्पित्ति को लेकर तरह तरह की बातें की जाती है। असल में इस खेल की उत्पत्ति कहां से हुई है, इस बात को लेकर लोगों में बहुत भ्रम हैं। लेकिन ज्यदातर साक्ष्य इसी बात का इशारा करते हैं कि शतरंज की उत्पत्ति भारत से हुई है।
विश्व भर में अनेकों खेल खेले जाते हैं। आउटडोर गेम, इनडोर गेम, शारिरक खेल, मानसिक खेल कई तरह के खेल हैं जिसे हम मनुष्य खेलेते हैं। मानसिक खेलों की बात करें तो मानसिक खेल में शतरंज का नाम सबसे पहले आता। क्योंकि यह खेल हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। चलिए आज शतरंज के इतिहास पर बात करते हैं।
आपने भी चेस (chess) जरूर खेला होगा। चेस खेलने के लिए आपको दिमागी रूप से बहुत मेहनत करनी पड़ती है। कहा यह भी जाता है कि इसे खेलने से दिमाग का विकास भी होता है।
शतरंज का इतिहास । History Of Chess in Hindi
आप के दिमाग में कभी न कभी ये प्रश्न जरूर उठा होगा कि आखिर इस गेम की शुरुआत आखिर कैसे और कब हुई थी? चलिए आपको विस्तार से बताते हैं।
शतरंज की शुरुआत इंडिया में ही हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे यह खेल बाहरी देशों में प्रसिद्ध हो गया। इतीहास के पन्नों (History Of Chess in Hind) में लिखा गया है कि इस खेल की शुरुआत भारत में 5वीं या 6वी शताब्दी के बीच हुआ था। पहले इस खेल का इस्तेमाल सैनिकों को दिमागी रूप से मजबूत करने के लिए किया जाता था। फिर धीरे-धीरे इसे एक खेल के रूप में खेले जाने लगा।
वैसे तो इस खेल को लेकर ये भी कहा जाता है कि महाभारत में पांडव और कौरवों के बीच पासों का जो खेल खेला गया था वह शतरंज का एक रूप ही था जिसे हम शतरंज कह सकते हैं। फिर धीरे धीरे समय बीतता गया और गुप्त काल के शासन में इस खेल ने अपने आपको एक नई पहचान दी। इस दौरान इस खेल यानी शतरंज को चतुरंग कहा जाता था।
हमने आपको पहले ही बताया कि शतरंज की इतिहास (History Of Chess in Hind)को लेकर कोई ठोस प्रमाम नहीं है। इंटरनेट पर तरह तरह की बातें लिखी हैं। हमें अपनी रिसर्च में पता चला कि इसकी शुरुआत भारत से ही हुई थी। हमने अपनी रिसर्च के आधार पर यह अनुमान लगाया है। इस खेल की शुरुआत कितने वर्षों पहले हुई इसे लेकर भी भ्रम है। लेकिव हमने अपनी रिसर्च में पाया कि इस खेल कि शुरुआत लगभग 280 ईसा पूर्व से 550 ईशा पूर्व के बीच हुई थी। इसी दौरान भारत में गुप्त सामराज्य का शासन था।
यूरोप में पहुंचा शतरंज
भारत में शुरु हुआ शतरंज बाहर निकल धीरे -धीरे अरब देशों से यूरोपिय देशों में पहुंच गया। युरोपीय देशों में शतरंज लगभग 9वीं शताब्दी के आसपास पहुचा। यूरोप में पहुचने के बाद शतरंज खेल इतना प्रसिद्ध हो गया कि धीरे धीरे इसे हर एक देश में प्रसिद्धी मिलने लगी। और यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया।
चेस को विभिन्न देशों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। पुर्तगाल में इसे जादरेज के नाम से जाना जाता है। स्पेन में इसे एजेडरेज के नाम से जाना जाता है।
खेलने का तरीका (How to play chess)
आपने ये तो जान लिया कि इस खेल का जन्म कहां से हुआ और फिर कैसे यह पूरे विश्व भर में फैला। चलिए अब आपको बतातें है कि आखिर शतरंज खेला कैसे जाता है। शतरंज में दो तरह की गोंटें होती हैं एक काले रंग की एक सफेद रंग की। दोनों रंग से मिलकर एक बोर्ड बनता है। बोर्ड में 64 बॉक्स होते हैं। इस खेल में दो खिलाड़ी होते हैं। दोनों खिलाड़ी के पास एक राज एक वजीर, 2 हाथी, 2 घोड़े, 2 ऊंट, 8 सैनिक होतें हैं।
शतरंज का जो नियम है, अगर हम उस नियम को देखें तो इस खेल की शुरुआत सफेद खाने की ओर बैठने वाला खिलाड़ी करता है। हर खेल में एक निर्धिरत समय होता है लेकिन शतरंज में कोई समय सीमा नहीं होती है।
कौन सी गोट कहां रखी जाती है?
खेल को शुरु करने से पहले पूरे चेस बोर्ड में गोटियां रखी जाती है। काली गोटियां काली साइड, सफेद गोटियां सफेद साइड रखी जाती हैं। सभी गोटियों को रखने का भी एक स्थान होता है। अगर हम हाथी की बात करें तो हाथी को चेस बोर्ड के किनारे में रखा जाता है। दो हाथी होते हैं तो दोनों साइड किनारे में एक एक हाथी रखा जाता है। हाथी के बगल में घोड़ा रखा जाता है। फिर घोड़े के बगल ऊँट को रखा जाता है। और फिर उसके बाईं तरफ राजा और उसके दाहिने तरफ रानी को रखा जाता है। इन सभी गोटियों के सामने आठ सैनिक जिन्हें हम प्यादे कहते हैं वो रखे जाते हैं। प्यादे ही शतरंज में पहली चाल चलते हैं।
कौन कितनी चाल चल सकता है?
राजा
शतरंज खेल में राजा ही मेन होता है। अगर राजा खत्म तो गेम खत्म। आपको अपने राजा को बचा के चलना होता है। राजा सिर्फ एक कदम ही चल सकता है। राजा किसी भी दिशा में मात्र एक ही कदम चल सकता है।
वजीर या रानी
वजीर को रानी भी कहा जाता है। चेस में वजीर ही सबसे ताकतवर गोट होती है। वजीर के पास ये शक्ति होती है कि वह किसी भी दिशा में कितने भी कदम चल सकती है।
हाथी
हाथी चेस बोर्ड में खड़ा, आड़ा कितनी भी दूर जा सकता है।
उँट
हाथी की तरह ऊँट भी तिरछी दिशा में कितनी भी दूर चल सकता है।
घोड़ा
घोड़ा किसी भी दिशा में 2.5 कदम चल सकता है। पूरे शतरंज में घोड़े के पास ऐसा शक्ति होती है कि वह किसी भी गोट के ऊपर से जा सकता है।
प्यादा
शतरंज में कुल 16 प्यादे होते हैं। एक खिलाड़ी के पास 8 प्यादे होते हैं। प्यादे को सैनिक भी कहते हैं। सैनिक एक कदम आगे चल सकता है अगर आपने अपने प्यादे को आगे बढ़ा दिया है तो उसे आप पीछे नहीं कर सकते हैं।
उम्मीद है कि चेस के इतिहास पर लिखा गया यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। चेस से जुड़ी इसी प्रकार की जानकारी के लिए जुड़े रहे हमारे साथ।