बीसीसीआई चयन बोर्ड ने विश्व कप टीम में भारत की विश्व कप जो टीम है जो T20 विश्व कप में जा रही है उसमें शिवम दुबे को रिंकू सिंह के स्थान पर शामिल किया है। यह देखना बाकी है कि शिवम दुबे कैसा प्रदर्शन करेंगे, लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि केवल आईपीएल प्रदर्शन के आधार पर विश्व कप टीम का चयन करना कितना सही या गलत है, यह तो समय ही बताएगा।
लेकिन बीसीसीआई चयन बोर्ड को यह समझना चाहिए कि विश्व कप में हर मैच दबाव वाला होता है। यह आईपीएल की तरह नहीं होता है जहाँ आपको 10 में से 6 मैच जीतने होते हैं और किसी भी तरह से टीम में जगह बनानी होती है और रन बनाने होते हैं।
विश्व कप में कोई ‘इम्पैक्ट प्लेयर’ नियम नहीं होता है। इसलिए किसी भी हालत में, बीसीसीआई चयन बोर्ड द्वारा आईपीएल प्रदर्शन के आधार पर विश्व कप टीम का चयन करना एक मूर्खतापूर्ण निर्णय था।
अब आईपीएल का जो सबसे महत्वपूर्ण मैच था चेन्नई सुपर किंग्स के लिए, जिसमें चेन्नई की टीम काफी दबाव में थी, उन्हें जीतना बहुत ही जरूरी था। हारने का मार्जिन कम होता, तब भी वह क्वालीफाई तो हो ही जाते। वहां पर शिवम दुबे के लिए एक मौका था कि वह अपनी बल्लेबाजी का जौहर दिखाएं, लेकिन वहां पर वह पूरी तरह से फेल हो गए।
जब दसवें ओवर में विकेट गिरा, तब वह बल्लेबाजी करने आए। शायद फैंस को ऐसा लगा कि शिवम दुबे आएंगे और पहली-दूसरी गेंद पर छक्का लगाएंगे और वहां से अपना रंग दिखाएंगे और टीम को आगे लेकर जाएंगे, जैसा कि वह अक्सर करते हैं। लेकिन यह एक आम मैच नहीं था, यह दबाव वाला मैच था। यहां पर बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ था और कहीं ना कहीं शिवम दुबे उस दबाव को सहन नहीं कर पाए।
उनकी शारीरिक भाषा यह बता रही थी कि वह संतुलित ढंग से बल्लेबाजी नहीं कर पा रहे थे। ना उनका कंसंट्रेशन था, ना उनका फोकस था, ना उनके पास कोई योजना थी कि किस गेंदबाज को शॉट लगाना है और किस क्षेत्र में लगाना है। जब टीम को 60 गेंदों में 130 रनों की आवश्यकता थी, तब शिवम दुबे अपनी बल्लेबाजी का जौहर दिखाने में नाकामयाब रहे और 15 गेंदों में सात रन बनाकर आउट हो गए।
जिस बल्लेबाज से चेन्नई को बहुत ही ज्यादा उम्मीदें थीं, उस शिवम दुबे के बारे में कहा जा रहा था कि वह चेन्नई के लिए मैच फिनिश करेंगे। जब चेन्नई एक कठिन परिस्थिति में होगी, तब शिवम दुबे आएंगे और टीम को मैच जिताएंगे। लेकिन अब तक कितनी बार ऐसा हुआ, किसी ने इस आईपीएल में देखा नहीं। चिन्नास्वामी जैसे मैदान में, जब चेन्नई 219 रनों का पीछा कर रही थी, और यह दबाव वाला मैच था, तब शिवम दुबे ने 45 की स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की।
वह स्पिनर को नहीं खेल पाए, वह भी पार्ट टाइम स्पिनर मैक्सवेल को। वह खुल कर शॉट्स नहीं लगा पाए और तेज गेंदबाजों के सामने तो उनकी चलने ही नहीं वाली थी। कितने गेंदबाजों को खेलना उन्हें आता ही नहीं है। न स्लोअर बॉल को पढ़ पाते हैं ना कटर को। बस या गेंद ब्लॉक करना है या बल्ला घुमाना है। प्रोटीन खाते हैं, बाजू में बहुत ताकत है, 6 फुट के ऊपर हाइट है, तो अगर बल्ले पर गेंद आएगी तो बाहर जाएगी, बस यही कहानी है शिवम दुबे की।
जब से उनका T20 विश्व कप 2024 के लिए भारतीय टीम में चयन हुआ है, तब से उन्होंने पांच मैचों में 46 रन बनाए हैं, 9 की औसत से और 120 के स्ट्राइक रेट से। और जब टीम को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, वह 10 गेंदों में 15 रन बनाकर आउट हो सकते थे, 5 गेंदों में 10 रन बनाकर आउट हो सकते थे, लेकिन 15 गेंदों में सात रन बनाकर आउट होना यह दिखाता है कि आप उस पोजीशन पर बैटिंग करने के लिए सक्षम नहीं हैं।
कहा जाता है कि शिवम दुबे एक ऑलराउंडर हैं। उन्होंने पूरा आईपीएल 2024 इम्पैक्ट प्लेयर के रूप में खेला, फिर बल्लेबाजी करने आए और यह तो उम्मीद उनसे नहीं की जा सकती कि वह धीमी चीजों पर भारत को मैच जिताएंगे। उनके अंदर पारी बनाने की क्षमता नहीं है। उनका काम है बस बल्ला घुमाना; अगर बल्ले पर गेंद आई तो आई, नहीं तो जो होगा देखा जाएगा। इस साल की चयन प्रक्रिया बहुत ही संदिग्ध रही है। शायद अब तक की यह भारत की सबसे कमजोर टीम खेलने जा रही है।