भारत के हरियाणा राज्य ने देश को कई महान मुक्केबाज दिए हैं। हरियाणा, वर्तमान में राष्ट्रीय खेलों की पदक तालिका में दूसरे स्थान पर है, भारत में मुक्केबाजी में हमेशा ही हरियाणा नाम को सुना जाता है।
बॉक्सिंग में जब दूसरे राज्यों के मुक्केबाज राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते हैं,
तब हरियाणा के मुक्केबाज दुनियां भर में भारत का नाम रोशन कर रहे थे।
ऐसे में इन मुक्केबाजों में इस बात के गौरव को लेकर की वो मुक्केबाजी में भारत का प्रतिनिधित्व करे हैं।
इस तरह की हीं एक शिकायत गुजरात के सूरत की 21 वर्षीय परमजीत कौर, जो वेल्टरवेट वर्ग (63-66 किग्रा) में खेलती हैं,
उन्होनें की है उन्होंने कहा है कि हरियाणा क्षेत्र के मुक्केबाज उनके जैसे मुक्केबाजों का सम्मान नहीं करते हैं।
परमजीत ने यह भी कहा कि जब भी मुक्केबाजी की बात हो, हर कोई गुजरात या अन्य किसी भी राज्य को हल्के में लेता है।
परम ने बताया हमारे यहां बहुत सुविधाएं नहीं हैं और हरियाणा, पंजाब के लोग हमें गंभीरता से नहीं लेते हैं।”
गुजरात की खेल सुविधाओं के बारे में बात करते हुए परमजीत ने कहा कि,
गुजरात राज्य शतरंज और टेनिस जैसे खेलों में अच्छा कर रहा है,
लेकिन लड़ाकू खेलों के लिए संस्कृति के निर्माण में पिछड़ रहा है।
परमजीत ने कहा ऐसा नहीं है कि यहां कोई बुनियादी ढांचा नहीं है।
हमने इतने कम समय में राष्ट्रीय खेलों को पीछे छोड़ दिया,
ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह राज्य नहीं कर सकता, लेकिन हमें बस सही दिशा की जरूरत है,
अपने बारे में बताते हुए उन्होमें कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी के क्षेत्र में पहुंचना मेरे लिए कहहीं से कहीं तक आसान नहीं था।
यहां तक पहुंचने में उनकी विधवा मां और कोच के समर्थन पर बहुत अधिक निर्भर है, जिसे वह पाने के लिए भाग्यशाली थीं।
उन्होंने अपने कोच जय सोलंकी की बदौलत 16 साल की उम्र में खेल शुरू किया,
जिन्होंने उन्हें एक स्कूल के कार्यक्रम में पहचाना और बिना किसी शुल्क के उन्हें ट्रनिंग देना शुरू किया।
बहुत कम उम्र में अपने पिता को खोने के बाद, परमजीत हमेशा अपनी माँ के साथ रहती हैं,
जिन्होंने घर-घर जाकर साड़ी बेचने जैसे छोटे-मोटे काम करके उनकी देखभाल की है।
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