Harika Dronavalli शतरंज ओलिम्पियाड
भारत में पहली बार चेस ओलिंपियाड का आयोजन किया गया था। इस ओलंपियाड में भारत ने कांस्य पदक जीता था।
भारतीय महिला चेस खिलाड़ी हंपी वैशाली, सचदेव और कुलकर्णी ने भारत का नेतृत्व किया था। इन शतारंजबाजों ने 2486 की रेटिंग के साथ कांस्य पदक हासिल किया।
इस प्रतियोगिता में कई विदेशी खिलाड़ियों ने भी हिस्सा लिया था। भारत की तरफ से खेलने वाली हरिका द्रोणावल्ली पेट से थीं। उनके घर में 8 महीने का शिशु पल रहा था फिर भी उन्होंने भारत का नेतृत्व किया।
हरिका द्रोणावल्ली कांस्य पदक जीतकर भारत का मान बढ़ाया। उन्होंने कहा कि “यह पदक मेरे लिए बेहद खास है क्योंकि मेरे पेट में 8 महीने का बच्चा पल रहा है। इस ओलंपियाड में खेलना मेरे लिए असंभव था लेकिन मैंने अपने देश के लिए खेला। यह जीत मेरे आने वाली बेबी के लिए पहला गिफ्ट होगा। “
पदक जीतने के बाद अच्छा लगा
ओलिंपियाड में कांस्य पदक जीतने पर हरिका द्रोणावल्ली ने कहा कि व थोड़ी निराशा क्योंकि उन्हें गोल्ड नहीं मिला हालांकि जो भी मिला है उससे वह संतुष्ट हैं। हालांकि कांस्य पदक जीतने के बाद भी मुझे बहुत खुशी है बहुत अच्छा लग रहा है। अब अगला लक्ष्य है कि देश के लिए स्वर्ण पदक लाऊं। उन्होंने कहा कि “मुझे उम्मीद है महिला टीम के लिए भविष्य और बेहतर होगा।”
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Harika Dronavalli शतरंज ओलिम्पियाड: बातचीत में हरिका द्रोणावल्ली ने आगे कहा कि जब मुझे भारत में शतरंज ओलिम्पियाड होने का पता चला तो मेरी पहली प्रतिक्रिया यही थी कि इसमें नहीं खेल पाऊंगी। मैं सोच रही थी कि डिलिवरी के बाद एशियन गेम्स में हिस्सा ले पाऊंगी या नहीं। इस दौरान मेरी डॉक्टर से बात हुई। फिर मैंने सोचा बेबी के जन्म के बाद तुरंत खेलने की बजाय अभी खेलना बेहतर होगा। डॉक्टर की राय लेकर मैंने निर्णय लिया कि ओलिम्पियाड देश में ही है तो यहां इंतजाम करना आसान रहेगा। इसलिए पिछले 3 माह से मैं मानसिक तौर पर खेलने के लिए खुद को तैयार कर रही थी। पति कार्तिक, माता-पिता का भरपूर सहयोग रहा। पति तो पूरे ओलिम्पियाड मेरे साथ ही रहे।”
गेम की चुनौती के बारे में पूछे जाने पर हरिका द्रोणावल्ली ने कहा कि “मैं पहली बार जीवन के इस पड़ाव से गुजर रही थी जिसका मेरे पास कोई अनुभव नहीं था। मैं खुद को प्रेरित करने के लिए खिलाडिय़ों के बारे में पढ़ रही थी कि कैसे गर्भवती रहते हुए उन्होंने शारीरिक खेलों में भाग लेकर मैडल जीते। टैनिस प्लेयर सेरेना विलियमस जैसी कईं महिला खिलाडिय़ों के बारे में पढ़कर मुझे आत्मविश्वास मिला।”