भारतीय हॉकी पुरुष टीम के ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह जो
बर्मिंघम 2022 में CWG में रजत पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थे
उन्होंने अपने शुरुआती दिनों से लेकर भारतीय पुरुष हॉकी टीम
तक के अपने सफर के बारे में खुलकर बात की.
ड्रैग फ्लिकर जुगराज ने बताई संघर्ष कि बात
हॉकी इंडिया द्वारा शुरू की गई एक पॉडकास्ट श्रृंखला हॉकी ते चर्चा
में जुगराज ने कहा कि जब मैं तीसरी कक्षा में था तब मैंने
अटारी में खेलना शुरू किया था. मैं कॉलेज के तुरंत बाद पंजाब नेशनल बैंक हॉकी
अकादमी के लिए खेलने के लिए चार साल दिल्ली चला गया
जिसने मुझे पहली शुरुआत दी थी. पीएनबी टीम की ओर से मैंने प्रतिस्पर्धा टूर्नामेंट खेलना
शुरू किया जहाँ मुझे नेवी हॉकी टीम ने देखा और जिसने मुझे राष्ट्रीय टीम
के साथ जुड़ने का मौका दिया. जिसके बाद मैं सीनियर भारतीय पुरुष हॉकी
टीम में खेलने के बाद अपने सीनियर टीम में शामिल हुआ.
आगामी टूर्नामेंट में है खेलने के लिए तैयार
मुझे सीनियर भारतीय पुरुष हॉकी टीम में चुना गया जिसका मैं बेसब्री से इन्तेजार कर रहा था.
उन्होंने आगे कहा कि जीवन में जो कुछ भी चाहते हैं उसे हासिल
करने के लिए व्यक्ति को अपनी साड़ी इच्छा शक्ति के साथ लड़ना चाहिए
और मैंने वही किया. मैंने कभी लड़ना नहीं छोड़ा और कभी हार नहीं मानी
जिसके फलस्वरूप मुझे हव एक मौका मिला जिसके लिए
मुझे खुद को साबित करने की जररूत थी.
FIH हॉकी प्रो लीग में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए डेब्यू करने वाले
25 वर्षीय डिफेंडर ने अपने पिता के बलिदान के बारे में भी बात की.
उन्होंने बताया कि वाघा बॉर्डर पर सीमा कुली के रूप में मेरे पिताजी ने काम किया था.
उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि हमारे परिवार के
पास बहुत ज्यादा पैसे नहीं थे. इसलिए मैं भी मेरे पिताजी के साथ
उनकी मदद करने बॉर्डर पर जाया करता था और जहां हम
पर्यटकों को पानी की बोतलें, नमकीन आदि सामान बेचा करते थे.
मैं मेरे पिताजी का हमेशा आभार रहूँगा कि उन्होंने मेरा हमेशा साथ दिया
और हमें स्कूल पढ़ने भेजा साथ ही साथ हॉकी खेलने के लिए भी प्रोत्साहित किया.
25 वर्षीय जुगराज ने टीम में ड्रैग फ्लिकर्स को लेकर चल रहे
स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के बारे में बात की उन्होंने कहा अभी हमारे पास टीम में कुछ बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर्स हैं.