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हॉकी का खेल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में काफी प्रसिद्द है. हॉकी के खेल में भारतीय टीम से काफी लीजेंड खिलाड़ी निकले हैं. ऐसे में भारतीय खिलाड़ियों के पास पहले हॉकी किट को लेकर काफी दिक्कत होती थी. लेकिन अभी हॉकी किट और बाकी सभी सुविधाएं काफी है. ऐसे में भारतीय टीम में हॉकी की बेहतरीन सुविधा भी है. लेकिन पहले के समय में भारतीय खिलाड़ियों को बिना जूते के इसे खेला जाता था. और हॉकी स्टिक के कारण ही इस खेल को सरलता से खेला जा सकता है. हॉकी स्टिक निर्माण में कई तरीके की चीजों का ध्यान रखना होता है.
हॉकी स्टिक के निर्माण पर एक नजर
आईये ऐसे में बताते है कुछ हॉकी के बारे में जिसे आप नहीं जानते होंगे. हॉकी स्टिक हॉकी के खेल का महत्वपूर्ण भाग होता है. इसके बिना हॉकी खेलना असम्भव है. हॉकी स्टिक हॉकी के खेल का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. स्टिक के बिना हॉकी खेलना असम्भव होता है. हॉकी स्टिक मैदान में मौजूद सभी खिलाड़ियों के पास होती है. ऐसे ही गोलकीपर के पास भी हॉकी स्टिक होती है.
हॉकी स्टिक के माध्यम से ही गेंद को एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाने का प्रयास खिलाड़ियों द्वारा किया जाता है. और विरोधी टीम के खिलाड़ियों से गेंद को बचाते हुए उनके गोलपोस्ट में गोल किया जाता है. यह काम खिलाड़ी स्टिक के माध्यम से ही करता है. हॉकी स्टिक तो सभी ने देखि होगी लेकिन इससे जुड़े सवाल सभी के मन में होंगे कि हॉकी स्टिक किस से बनी होती है. जो अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी स्टिक प्रयोग में लेती है उसका वजन, हाइट और सभी माप के बारे में जानने की उत्सुकता सभी को होगी. ऐसे में हम बताने जा रहे है हॉकी स्टिक के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में.
जानिए क्या होती है हॉकी स्टिक?
हॉकी स्टिक एक लम्बी छड़ी जैसा उपकरण होता है जो लकड़ी से बनी होती है. जिसका निचला हिस्सा घुमावदार चन्द्र आकर का होता है. साथ ही इसका बाईं हिस्सा सपाट होता है. हक्के स्टिक के माध्यम से गेंद को नियंत्रित करने के लिए फील्ड हॉकी या आइस हॉकी में इस्तेमाल किया जाता है. जबसे फील्ड हॉकी खेली जाती रही है तबसे हॉकी स्टिक ने हमेशा एक पारम्परिक आकार को बनाए रखा है. हालांकि स्टिक में वक्त और आवश्यकता के हिसाब से थोड़े बहुत बदलाव भी होते रहे हैं.
इसके आकार के बारे में जाने
हॉकी स्टिक के नाप की बात करें तो इसकी लम्बाई 105 सेमी होती है और इसका वजन 737 ग्राम से अधिक नहीं होता है. मैदान में हॉकी खेलते समय खिलाड़ियों को सिर्फ हॉकी के सपाट हिस्से से गेंद को छूने की अनुमति होती है. अगर वो इसे फॉलो नहीं करते है तो इसे फ़ाउल माना जाता है और गेंद विपक्षी टीम को दे दी जाती है.
हॉकी के खेल में दो टीमें आपस में भिड़ती है जिसमें गें को गोल पोस्ट में डालने की प्रतिस्पर्धा होती है. प्रत्येक टीम में कुल 11 खिलाड़ी होते है जसमें से एक गोलकीपर होते है और बाकी बचे 10 खिलाड़ी विरोधी टीम के साथ खल खेलते है. गोलकीपर का काम है गेंद को गोल पोस्ट में जाने से रोकना. हॉकी के खेल में खिलाड़ी का स्टेमिना काम आता है और हॉकी के खिलाड़ियों में जुनून, सहयोग और फुर्ती जैसे गुण भी विद्यमान होते है.
जानिए इसकी डिजाईन और गुणवत्ता के बार में
गोलकीपर के हॉकी की बात करें तो उसका डिजाईन अलग होता है. हालांकि गोलकीपर साधारण हॉकी स्टिक का भी उपयोग कर सकता है. वैसे गोलकीपर की स्पेशल हॉकी स्टिक की बात करें तो इसमें अंत में एक और वक्र होता है जो गेंद को ब्लॉक करने के लिए इसे अधिक जगह देता है.
मूलरूप से हॉकी स्टिक को शहतूत यानी मलबरी की लकड़ी से बनाया जाता था. लेकिन समय के साथ नई सामग्रियों और तकनीकों ने इसमें बदलाव कराए हैं. जबसे रेट और पानी आधारिक कृतिम मैदान पर हॉकी खेलने की परम्परा की शुरुआत हुई तब से हॉकी स्टिक के निर्माण में कई बदलाव हुए है.
90 के दशक की बात करें तो एल्युमिनियम की शाफ़्ट से बनी स्टिक को खेल में लाया गया था. इस स्टिक का इस्तेमाल करने से खिलाड़ियों के द्वारा गेंद मारने की क्षमता में वृद्धि हुई तो दूसरी ओर इसे हॉट लगने की सम्भावना भी बढ़ी. कई बार स्टिक के टूट जाने से भी खिलाड़ियों के चोट लगने का डर लगा रहता था. और इस कारण से कईं खिलाड़ियों के चोटें भी आई है. फिर FIH ने इस वजह से इस स्टिक पर प्रतिबंद लगा दिया था. इसके बाद हॉकी स्टिक बनाने वाली कम्पनीज ने इसमें फाइबरग्लास, कार्बन फाइबर और केवलर जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
आज के जमाए में हॉकी के काफी कुछ अवतार आ चुके हैं. आधुनिक काल में हॉकी के काफी रूप है जिन्हें खेलकर हॉकी को सुगम बनाया जा रहा है. हॉकी के शुरुआत की बात करें तो जब हॉकी की शुरुआत हुई थी तो वह हाथ से बनाई जाती थी. आज कल हॉकी स्टिक मशीनों से बनाई जाती है. 1800 के दशक में हॉकी को मीकमाह स्कोटिया में बनाया जाता था. पेड़ की लड़की से एक हॉकी की स्टिक को आकार दिया जाता रहा था. पहले के जमाने में हॉकी के निचले हिस्से को सपाट बनाया जाता था. लेकिन आजकल की हॉकी स्टिक में इसे घुमावदार बनाया जाता है.
हॉकी के दो प्रकार जानिए :-
बता दें हॉकी स्टिक दो प्रकार की होती है :
1) पहले स्टिक लड़की की बनाई जाती है. जिसमें लकड़ी से हॉकी को बनाया जाता है. इसके साथ ही यह स्टिक पारम्परिक और क्लासिक होती है. इसको बनाने की लागत भी कम होती है. हॉकी स्टिक को को कम खर्चीली बनाने के लिए ही लकड़ियों का ही प्रयोग किया जा रहा है.
2) वहीं हॉकी का दूसरा प्रकार कम्पोजिट हॉकी स्टिक होती है. इस कम्पोजिट हॉकी स्टिक बाजार में सबसे ज्यादा प्रचलित होती है. किफायती और इंडोर हॉकी के पसंदीदा विकल्प बन गई है. कम्पोजिट हॉकी में ज्यादा कार्बन होता है जो इसको हल्का बनाता है.
आधुनिक काल में हॉकी स्टिक को उचित मापदंड से बनाया जाता है. इसकी लम्बाई 105 सेमी तक होती है. वहीं इसका वजन 737 ग्राम तक ही होना अनिवार्य होता है. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी स्टिक को विशेष मापदंड से बनाया जाना ही सही माना जाता है. हॉकी का इस्तेमाल गोलकीपर के लिए अलग और खिलाड़ी के लिए अलग होता है. गोलकीपर के लिए विशेष रूप की हॉकी इस्तेमाल की जाती है. वहीं अन्य खिलाड़ियों के लिए हॉकी को उचित पैमाने पर तैयार किया जाता है.