हॉकी स्टिक हॉकी के खेल का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. स्टिक के बिना हॉकी खेलना असम्भव होता है. हॉकी स्टिक मैदान में मौजूद सभी खिलाड़ियों के पास होती है. ऐसे ही गोलकीपर के पास भी हॉकी स्टिक होती है.
हॉकी स्टिक के माध्यम से ही गेंद को एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाने का प्रयास खिलाड़ियों द्वारा किया जाता है. और विरोधी टीम के खिलाड़ियों से गेंद को बचाते हुए उनके गोलपोस्ट में गोल किया जाता है. यह काम खिलाड़ी स्टिक के माध्यम से ही करता है. हॉकी स्टिक तो सभी ने देखि होगी लेकिन इससे जुड़े सवाल सभी के मन में होंगे कि हॉकी स्टिक किस से बनी होती है. जो अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी स्टिक प्रयोग में लेती है उसका वजन, हाइट और सभी माप के बारे में जानने की उत्सुकता सभी को होगी. ऐसे में हम बताने जा रहे है हॉकी स्टिक के कुछ रोचक तथ्यों के बारे में.
हॉकी स्टिक एक लम्बी छड़ी जैसा उपकरण होता है जो लकड़ी से बनी होती है. जिसका निचला हिस्सा घुमावदार चन्द्र आकर का होता है. साथ ही इसका बाईं हिस्सा सपाट होता है. हक्के स्टिक के माध्यम से गेंद को नियंत्रित करने के लिए फील्ड हॉकी या आइस हॉकी में इस्तेमाल किया जाता है. जबसे फील्ड हॉकी खेली जाती रही है तबसे हॉकी स्टिक ने हमेशा एक पारम्परिक आकार को बनाए रखा है. हालांकि स्टिक में वक्त और आवश्यकता के हिसाब से थोड़े बहुत बदलाव भी होते रहे हैं.
हॉकी स्टिक के आकर के बारे में जाने
हॉकी स्टिक के नाप की बात करें तो इसकी लम्बाई 105 सेमी होती है और इसका वजन 737 ग्राम से अधिक नहीं होता है. मैदान में हॉकी खेलते समय खिलाड़ियों को सिर्फ हॉकी के सपाट हिस्से से गेंद को छूने की अनुमति होती है. अगर वो इसे फॉलो नहीं करते है तो इसे फ़ाउल माना जाता है और गेंद विपक्षी टीम को दे दी जाती है.
हॉकी के खेल में दो टीमें आपस में भिड़ती है जिसमें गें को गोल पोस्ट में डालने की प्रतिस्पर्धा होती है. प्रत्येक टीम में कुल 11 खिलाड़ी होते है जसमें से एक गोलकीपर होते है और बाकी बचे 10 खिलाड़ी विरोधी टीम के साथ खल खेलते है. गोलकीपर का काम है गेंद को गोल पोस्ट में जाने से रोकना. हॉकी के खेल में खिलाड़ी का स्टेमिना काम आता है और हॉकी के खिलाड़ियों में जुनून, सहयोग और फुर्ती जैसे गुण भी विद्यमान होते है.
गोलकीपर के हॉकी की बता करें तो उसका डिजाईन अलग होता है. हालांकि गोलकीपर साधारण हॉकी स्टिक का भी उपयोग कर सकता है. वैसे गोलकीपर की स्पेशल हॉकी स्टिक की बात करें तो इसमें अंत में एक और वक्र होता है जो गेंद को ब्लॉक करने के लिए इसे अधिक जगह देता है.
मूलरूप से हॉकी स्टिक को शहतूत यानी मलबरी की लकड़ी से बनाया जाता था. लेकिन समय के साथ नई सामग्रियों और तकनीकों ने इसमें बदलाव कराए हैं. जबसे रेट और पानी आधारिक कृतिम मैदान पर हॉकी खेलने की परम्परा की शुरुआत हुई तब से हॉकी स्टिक के निर्माण में कई बदलाव हुए है.
90 के दशक की बात करें तो एल्युमिनियम की शाफ़्ट से बनी स्टिक को खेल में लाया गया था. इस स्टिक का इस्तेमाल करने से खिलाड़ियों के द्वारा गेंद मारने की क्षमता में वृद्धि हुई तो दूसरी ओर इसे हॉट लगने की सम्भावना भी बढ़ी. कई बार स्टिक के टूट जाने से भी खिलाड़ियों के चोट लगने का डर लगा रहता था. और इस कारण से कईं खिलाड़ियों के चोटें भी आई है. फिर FIH ने इस वजह से इस स्टिक पर प्रतिबंद लगा दिया था. इसके बाद हॉकी स्टिक बनाने वाली कम्पनीज ने इसमें फाइबरग्लास, कार्बन फाइबर और केवलर जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.