भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान प्रीतम सिवाच हॉकी खिलाड़ियों
लड़कियों के लिए मसीहा बनी हैं. प्रीतम द्वारा सिखाई गई लड़कियों को
सरकारी नौकरी भी मिली है साथ ही 3 लड़कियाँ ओलिंपिक में, चार राष्ट्रमंडल में
और 16 राष्ट्रीय स्तर पर भी नाम रोशन कर चुकी है. उन्होंने अपनी मेहनत से
जंगल में पड़ी बंजर भूमि को खेलने लायक मैदान बनाने में कठिन परिश्रम किया.
प्रीतम सिवाच ने दी महिला हॉकी खिलाड़ियों को प्रेरणा
उनकी यह मेहनत भी रंग लाई और 18 साल पहले उन्होंने जो हॉकी सिखाने
का जूनून देखा था वह पूरा होता दिख रहा है. उनके द्वारा
सिखाई लड़कियों ने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेरी है.
हरियाणा के सोनीपत में औद्योगिक क्षेत्र स्थित इस मैदान पर
हॉकी सीखकर अनेक बेटियों ने अपनी ज़िन्दगी संवारी है. अभी
वर्तमान कि बात करें तो उनकी अकादमी में करीब 180
लड़कियां प्रशिक्षण ले रही हैं. भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व
कप्तान प्रीतम सिवाच हॉकी को नया आयाम देना चाहती थीं.
अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने वर्ष 2004 में सोनीपत
के औद्योगिक क्षेत्र में हॉकी मैदान बनाने की ठानी.
उस समय यहाँ जंगल हुआ करता था. वर्षों के प्रयास के बाद
उन्होंने यहाँ की बंजर भूमि को खेलने लायक बनाया जिसके बाद
उन्होंने वहां कि लड़कियों को प्रशिक्षण देना शुरू किया.
बंजर भूमि में खेल मैदान बना 180 लड़कियां सीख रहीं हॉकी
बता दें कि प्रीतम सिवाच का जन्म हरियाणा के गुरुग्राम के गांव झाड़सा में हुआ था.
साल 1987 से उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था. उस समय वह मात्र सातवीं
कक्षा में पढ़ती थी. उन्होंने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. और भारत का
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व कर नए पहचान दिलाई.