उड़ीसा की रहने वाली 19 वर्षीय हॉकी खिलाड़ी और पूर्व अंडर-17 राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सुनीता लुगुन को आर्थिक कारणों से मजदूर बनने पर मजबूर होना पड़ा था. इतने टैलेंट के बाद भी उन्हें घर चलाने और पेट पालने के लिए मजदूरी कर घर खर्च चलाना पड़ रहा था. लेकिन जब दिलीप टिर्की को इस बात कि खबर लगी तो उन्होंने तुरंत इस बात पर एक्शन लेते हुए उन्हें खेल में वापिस लौटने में मदद की है.
मजदूरी करने पर मजबूर राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी सुनीता
बता दें सुनीता भारत के लिए पूर्व अंडर-17 हॉकी खिलाड़ी रह चुकी हैं और उड़ीसा के संबलपुर जिले के रायराखोल ब्लाक के लाडलाडा गाँव से ताल्लुक रखती हैं. वह जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अपने खेल का जलवा बिखेर चुकी है. लेकिन उनके पिता की मृत्यु के बाद उनके घर की आर्थिक हालत काफी कमजोर हो चुकी थी और इसी के चलते उन्हें तमिलनाडु जाना पड़ा और वहां एक कपड़ा कारखाने में मजदूरी काम करना पड़ रहा था.
सुनीता ने एक इंटरव्यू में बताया कि, ‘बहुत कठिनाइयां थी और मैंने वहां छह महीने काम किया था. मैं प्रतिदिन केवल 280 रुपए ही कमा पाती थी और घर का खर्चा चला रही थी.’ लेकिन जब उसके कोच को उसकी माली हालत का पता चला तो उसने उसे वापिस बुला लिया और पिछले हफ्ते उड़ीसा में आयोजित एक राज्य चैंपियनशिप में भाग लेने को कहा था. जिसमें उन्हें एक टीम का कप्तान भी नियुक्त किया था.
सुनीता के कोच बिमल ने कहा कि, ‘जब मुझे पता चला कि वह अपने श्रम के काम के लिए तमिलनाडु गई है तो मुझे बहुत बुरा लगा क्योंकि वह 2018 में रांची के लिए नेशनल खेल चुकी है. और बहुत अच्छी प्रतिभा रखती है. उसके बाद मैंने उससे सम्पर्क किया और उसे वापिस बुलाकर राज्य स्तरीय चैंपियनशिप खेलने के लिए प्रेरित किया.’
इसके बाद हॉकी इंडिया के प्रमुख और पूर्व भारतीय खिलाड़ी दिलीप टिर्की को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने भी उसकी मदद की और दिलीप तिर्की फाउंडेशन से उसे 21 हजार की सहायता दी और एक हॉकी किट भी दिया.